Friday, October 16, 2015

वे क्या सिर्फ पाकिस्तान बनाना जानते हैं, नदी पर पुल नहीं?


भारत का एक औसत शिक्षित मुसलमान क्या सोचता है?
उसे खुशफहमी है कि उसने हिन्दुओं पर हजार सालों शासन किया...
उसे यह तक सऊर नहीं कि कह सके कि उसके पूर्वज हिन्दू थे:
जिन्हें जबरिया मुसलमान बनाया गया...
जिनके साथ बलात्कार हुआ और जिन्हें हमलावरों और उनके वंशजों की हरमों में रखा गया गुलामों की तरह...
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अरे, अकबर के समय से तो मुगलिया खानदान की बेटियाँ कुँवारी रहने लगीं थीं क्योंकि मुगल किसी को इस लायक मानते नहीं थे कि उससे अपनी बेटी व्याह दें...
औरंगजेब की बहनों जहाँनारा और रोशनारा की शादियाँ क्यों नहीं हुईं थीं? कभी सोचा है  आपने?
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मुसलमानों से अगर मतलब हमलावर तुर्क, ईरानी, पठान, मंगोल है तो जरूर इनकी हुकूमत हिन्दुस्तान पर रही...
ये हमलावर भूखे, वहशी और बर्बर थे जो बेहतर जीवन की तलाश में यहाँ आते थे और ज्यादातर यहीं रह जाते थे...
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वैसे ही जैसे आपमें अनेक लोग आज यूरोप-अमेरिका में नौकरी करने जाते हैं और वहीं बस जाते हैं...
तब पूरी दुनिया का अमेरिका-यूरोप भारत ही था।करीब दो हजार साल तक (1ईसवी सन् से 1750 तक) भारत की अर्थव्यवस्था ने पूरी दुनिया पर राज किया । 1750 में भारत की राष्ट्रीय आय पूरी दुनिया का एक चौथाई थी जो 1947 में
2 % से भी कम रह गई । क्या कमाल कर दिखाया अंग्रेज़ों ने और कितनी कीमत वसूली उन्होंने इस समृद्ध देश को 'सभ्य'
बनाने की!
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खैर, तो क्या आप अपने को उन हमलावर तुर्को, मुगलों, पठानों के वंशज मानते जो आपके पूर्वजों को कभी पाँव की जूती से ज्यादा नहीं समझते थे? जिन्होंने आपके वंश की औरतों के साथ दरिंदों से भी बदतर सलूक किया था? बाबर ने तो हिन्दुस्तान में दफनाया जाना भी पसंद नहीं किया था...
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यह बात अलग है कि तब आपके पूर्वज हिन्दू थे और बड़ी जिल्लत की जिंदगी जी थी उन्होंने...
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लेकिन कुछ तो बात है  'इस्लाम' में कि अल्लामा इक़बाल जैसा आधुनिक मुसलमान एक तरफ लिखता है "सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ  हमारा"  तो दूसरी तरफ मरने के पहले पाकिस्तान का आइडिया देता है और उसकी कलम से  बह निकलता है नफरत का अबेजमजमः
हो जाये अगर शाहे खुरासान का इशारा
सज़दा न करूँ हिन्द की नापाक ज़मीं पर ।

और, इन इक़बाल मियाँ के  तो दादा कश्मीरी पंडित थे ,
सेवादास (?) सप्रू।
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आपके मन में न जाने कितने पाकिस्तान पलते हैं, अल्ला जाने।
परंतु अब्दुल कलाम की जगह याकूब मेमन और औरंगजेब पर मुहर लगाकर आपने अपनी संभावनाओं का ट्रेलर तो पूरे हिन्दुस्तान को दिखा ही दिया है।
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लेकिन आपको शायद याद हो कि 1857 की लड़ाई में हिन्दू-मुसलमान सिपाही कंधे से कंधा मिलाकर अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़े थे।फिर आप कह सकते हैं कि वे अनपढ़ मुसलमान थे, जैसे ज्यादातर फौजी होते हैं।
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तब मेरा सवाल होगाः
क्या अंग्रेजी पढ़े-लिखे मुसलमान सिर्फ पाकिस्तान बनाना जानते हैं? नदी पर पुल बनाना नहीं जानते?

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