Friday, October 16, 2015

मुसलमानो! तुम्हारे पूर्वज मजबूर थे, तुम नहीं

तुम्हारे पूर्वज मजबूर थे, तुम नहीं । पाकिस्तानी लेखिका फौज़िया सईद ठीक कहती हैं कि तुमसब मूलतः हिन्दू हो , लेकिन यह सोचना कि तुमने हिन्दुस्तान पर राज किया है, एक निर्लज्ज झूठ है।
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क्या किया जाए?
बछड़ा चोरी को हलाल और चोर को पकड़े जाने को हराम घोषित कर दिया जाए?
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खासकर तब जब चोर मुसलमान हो?
और चोरी किसी हिन्दू के गाय या बछड़े की हुई हो?
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और चोरी के बाद पूरी सीनाजोरी के साथ उसको काटकर माँस बेचा गया हो ?
जन्नत में 70 हूरों के साथ आनंदमय जीवन बिताने के लिए?
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इस जहाँ में तो औरतों को गुलाम बनाकर रखेंगे ही, अगले जहाँ में भी नहीं बख्शेंगे ये मोसल्लम ईमानवाले?
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कहाँ से लाओगे इतनी हूरें? क्या जन्नत में अल्लाताला ने कोई हूर-फैक्टरी लगा रखी है?
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फिर कोई औरत जो गोकशी कर जन्नत जाएगी उसको क्या 70 इन्जिल दोगे? अगर उसे किसी एक के साथ ही अच्छा लगा तो क्या उसे सातवें आसमान से पटक दोगे?
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जाहिलों संभल जाओ, जमाना बदल चुका है।क्या इतना भी भेजा नहीं कि समझ सको:
'दुनिया में 150 करोड़ मुसलमान,  54 इस्लामी देश, कहीं पर लोकतंत्र नहीं, सब जगह जूते खा रहे, एक-दूसरे का गला रेत रहे, फिर भी अपने को सबसे ऊपर समझते...तुम्हें यह भी पता है कि तुम्हारी बीमारी क्या है?'
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कुरान-हदीश में क्या लिखा है इससे किसी को क्या मतलब है? तुम उसपर कैसे अमल करते हो और दूसरों के साथ कैसा बर्ताव करते हो, इससे उन्हें मतलब है।
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सेकुलर-वामी-लिबरल तो कभी भी तुम्हें सही रास्ता दिखाने से रहे...उन्हें सिर्फ एक-दूसरे को लड़वाने-कटवाने की ट्रेनिंग मिली है।ये सब सोवियत संघ के विघटन से हताश कम्युनिस्ट हैं जिन्होंने जहाँ भी मौका मिला, करोड़ों जनता को जनहित में मौत के घाट उतार दिए।हिटलर इनके सामने पानी भरे । और झूठ बोलने में वे सबके गुरू हैं ।
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इंटरनेट-मोबाइल ने हिन्दुओं को जगा दिया है, इसका संघ या मोदी से क्या लेना-देना? खुद मोदी इसी जागरूकता की ऊपज हैं, जैसे केजरीवाल और अन्ना।
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तुम्हें ये कौन समझाये कि 1947 में पाकिस्तान में 22 % हिन्दू थे, आज नाम के 2 % से भी कम रह गए है।वही हाल बाँग्लादेश के हिन्दुओं का है।हिन्दुस्तान में तो तेरा प्रतिशत भी बढ़ा है, आबादी की बात कौन कहे ।
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तो जहाँ तेरी आबादी ज्यादा हुई वहाँ का तुने कबाड़ा कर दिया, अपना जीवन नरक किया और दूसरे का सफाया कर दिया।
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क्या कभी बहुमत ने तुम्हें अब से पहले ये बातें कहीं? नहीं कहीं क्योंकि उन्हें बर्दाश्त करने की आदत जो थी ।
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अब घड़ा भर गया है । इसलिए सेकुलरिज़म की दुहाई देना बंद करो, सामान्य इंसानों की तरह बराबरी के हक और जिम्मेदारी के साथ रहने की सलाहियत विकसित करो ।
अपने को मुकम्मल घरवाला मानो, न कि दामाद।
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अपने को हिन्दुस्तानी मानो न कि तुरक, मुगल, तुरानी, ईरानी या पठान जिन्होंने ने सदियों पहले तुम्हारी हिन्दू माताओं के साथ बलात्कार किए, उन पर सितम ढाए, तुम्हारे पूर्वजों को तलवार के बल इस्लाम कबूलने को मजबूर किया और उनकी आत्मा का हनन कर शरीर पर राज किया ।
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तुम्हारे पूर्वज मजबूर थे, तुम नहीं ।
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पाकिस्तानी लेखिका फौज़िया सईद ठीक कहती हैं कि तुमसब मूलतः हिन्दू हो , लेकिन यह सोचना कि तुमने हिन्दुस्तान पर राज किया है, तथ्यात्मक रूप से गलत है ।
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राज किया है तुम्हारी दादी-परदादी-आजियों पर जुल्मोसितम ढाने वाले, उनका बलात्कार करनेवाले तुर्कों, मुगलों, ईरानी या पठानों ने।तुम तो उनके गुलाम वैसे ही थे जैसे बाकी अवाम ।
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इस लिहाज से हिन्दुस्तान की हर चीज पर तुम्हारा उतना ही हक है जितना हिन्दुओं का।
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हाँ, मजहब के नाम पर देश के बँटवारे यानी मुसलमानों के लिए अलग देश पाकिस्तान के निर्माण ने तुम्हारे नैतिक अधिकार को कमजोर जरूर किया है, लेकिन बहुमत हिन्दू इसे लेकर थोड़े न बैठा है?
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लेकिन पाकिस्तानी तर्क पर कोई दूसरे विभाजन की बात करोगे तो फिर यहाँ तेरे लिए कोई जगह नहीं होगी।
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बाकी जाहिलो, मोबाइल-इंटरनेट ने थोड़ा तुम्हें भी समझदार बना ही दिया होगा । आमीन ।


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