खबरिया मीडिया को #बाजारू #दलाल #पाकिस्तानी #देशतोड़क #भाँट #भाँड़ #बिकाऊ क्यों कहते?
खबरिया मीडिया को #बाजारू #दलाल #पाकिस्तानी #देशतोड़क #भाँट #भाँड़ #बिकाऊ क्यों कहते?
संता: प्राजी, #सोशल_मीडिया पर नामचीन #पत्रकारों की #ऐसी_तैसी क्यों हो जाती है?
बंताः क्योंकि यहाँ उनकी #दादागिरी नहीं चलती।
संताः मतलब?
बंताः यहाँ सबको बराबर का समय और स्पेस है, जिसकी जैसी समझ वैसी उसकी बात और वैसी ही इज्जत।
संताः फिर तो कोई समस्या ही नहीं है?
बंताः है ब्रो, समस्या है।इन नामचीन पत्रकारों के पास पहले #एकतरफा_मीडिया जैसे #टीवी_अखबार की #रंगदारी थी। ये सिर्फ कहते थे , सुनते थोड़े न थे।
संताः सोशल मीडिया पर तो सुनना भी पड़ता है और सुनानेवाले बहुत ऐसे होते हैं जिनके पास पत्रकारों से ज्यादा पक्की जानकारी होती है।
बंताः तभी तो #एनडीटीवी के #रवीश_कुमार को सोशल मीडिया पर लोगों ने बोबिया दिया।उनकी #तटस्थता , #वस्तुनिष्ठता और तर्कों की #पोल_पट्टी खोल दी।
संताः लेकिन उनकी तो जबर्दस्त #फैन_फौलोइंग है, ये कैसे हो गया?
बंताः भई, ये कोई #हीरो_हीरोइन की फैन-फौलोइंग थोड़े न है कि खाली बड़ाई होगी।यहाँ तो #तथ्य और #सत्य जबतक साथ हैं तभी तक फैन-फौलोइंग भी ।
संताः लेकिन ये तो ठीक नहीं कि उन्हें #प्रेस्टीट्यूट, #बाजारू , #दलाल, #पाकिस्तानी , #देशतोड़क, #भाँट, #भाँड़ , #बिकाऊ आदि कहा जाए?
बंताः जो जैसा होगा उसे वही तो लोग कहेंगे? नहीं तो मगन रहो:
"कुछ तो लोग कहेंगे , लोगों का काम है कहना"...।
संता: प्राजी, #सोशल_मीडिया पर नामचीन #पत्रकारों की #ऐसी_तैसी क्यों हो जाती है?
बंताः क्योंकि यहाँ उनकी #दादागिरी नहीं चलती।
संताः मतलब?
बंताः यहाँ सबको बराबर का समय और स्पेस है, जिसकी जैसी समझ वैसी उसकी बात और वैसी ही इज्जत।
संताः फिर तो कोई समस्या ही नहीं है?
बंताः है ब्रो, समस्या है।इन नामचीन पत्रकारों के पास पहले #एकतरफा_मीडिया जैसे #टीवी_अखबार की #रंगदारी थी। ये सिर्फ कहते थे , सुनते थोड़े न थे।
संताः सोशल मीडिया पर तो सुनना भी पड़ता है और सुनानेवाले बहुत ऐसे होते हैं जिनके पास पत्रकारों से ज्यादा पक्की जानकारी होती है।
बंताः तभी तो #एनडीटीवी के #रवीश_कुमार को सोशल मीडिया पर लोगों ने बोबिया दिया।उनकी #तटस्थता , #वस्तुनिष्ठता और तर्कों की #पोल_पट्टी खोल दी।
संताः लेकिन उनकी तो जबर्दस्त #फैन_फौलोइंग है, ये कैसे हो गया?
बंताः भई, ये कोई #हीरो_हीरोइन की फैन-फौलोइंग थोड़े न है कि खाली बड़ाई होगी।यहाँ तो #तथ्य और #सत्य जबतक साथ हैं तभी तक फैन-फौलोइंग भी ।
संताः लेकिन ये तो ठीक नहीं कि उन्हें #प्रेस्टीट्यूट, #बाजारू , #दलाल, #पाकिस्तानी , #देशतोड़क, #भाँट, #भाँड़ , #बिकाऊ आदि कहा जाए?
बंताः जो जैसा होगा उसे वही तो लोग कहेंगे? नहीं तो मगन रहो:
"कुछ तो लोग कहेंगे , लोगों का काम है कहना"...।
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home