Tuesday, October 6, 2015

पाकिस्तान नहीं जाने की सज़ा ? आज़म ख़ान उवाच..

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जनाब आज़म ख़ान साहेब ने फरमाया है कि वे लोग पाकिस्तान नहीं गये थे, क्या इसी की उन्हें सज़ा दी जा रही है?
पाकिस्तान नहीं गये थे या नहीं जा पाए थे? पाकिस्तान बनवाने में बिहार-यूपी के उन  मुसलमानों का ज्यादा हाथ था जो नापाक हिन्दुस्तान से पाक पाकिस्तान नहीं जा पाए ।
जो भी हो क्या उन्होंने पाकिस्तान न जाकर रहम किया? वहाँ मोहाजिरों का क्या हाल है, भारत का चुप्पा मुस्लिम अभिजात वर्ग खूब जानता है ।
पाकिस्तान तो बना ही मुसलमानों के लिए था और उसे मुसलमानों का जबर्दस्त समर्थन था।
सिर्फ तीन बातें:
पहली कि पाकिस्तान जाने वाले आज वहाँ नारकीय जीवन जी रहे होते ।
दूसरी, हिन्दुओं ने सब जानते हुए भारत में मुसलमानों को स्वीकृति दी , यह उनकी सभ्यतागत उदारता का एक छोटा सा उदाहरण है ।
तीसरे, बहुमत मुसलमान लोकतंत्र नहीं, इस्लामीतंत्र बनाते हैं और उन्हें अलक़ायदा, तालिबान, बोकोहरम और आईएसआईएस के कारनामें पसंद हैं।
50 से अधिक इस्लामी देशों में कहीं भी लोकतंत्र नहीं है ।

आज तक कितने मुसलमानों में यह हिम्मत है इक़बाल की भारत-विभाजनकारी भूमिका की आलोचना करने की?
उन्होंने कहा था:
हो जाए अगर शाहेखुरासान का इशारा
सज़दा न करूँ हिन्द की नापाक ज़मीं पर ।

मजहबी कौल पर कैसा यू-टर्न लिया उस इक़बाल ने जिसके दादा कश्मीर पंडित थे और सप्रू ख़ानदान से आते थे और जिस इक़बाल ने पहले लिखा था:
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुले हैं इसकी ये गुलसिताँ हमारा ।

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