हिटलर की आत्मकथा और आज का भारत
हिटलर की आत्मकथा (1925 तक) पढ़ते हुए लग रहा है मानों आज का भारत तब के जर्मनी की फोटोकाॅपी हो।
अगर ऐसा है तो खतरनाक है, बेहद खतरनाक।
*
लेकिन भारत के जीवाष्मी प्रोफेसर (Fossilized Minds) इसे तब समझेंगे जब एक औसत नागरिक भी कह और कर चुका होगा, अच्छा या बुरा ।
*
वाह रे, मानसिक गुलाम! आपके सर से क्या सरस्वती और काली का हाथ हमेशा के लिए उठ गया है?
#हिटलर_की_आत्मकथा #मानसिक_गुलामी
#भारत_और_जर्मनी
#Germany #Hitler #India
अगर ऐसा है तो खतरनाक है, बेहद खतरनाक।
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लेकिन भारत के जीवाष्मी प्रोफेसर (Fossilized Minds) इसे तब समझेंगे जब एक औसत नागरिक भी कह और कर चुका होगा, अच्छा या बुरा ।
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वाह रे, मानसिक गुलाम! आपके सर से क्या सरस्वती और काली का हाथ हमेशा के लिए उठ गया है?
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