Monday, July 11, 2016

सवाल सिर्फ़ आस्था का नहीं, अस्तित्व का भी है...

सवाल सिर्फ़ आस्था का नहीं, अस्तित्व का भी है...

इस्लाम एक सॉफ्टवेयर है
मुसलमान हार्डवेयर है
सॉफ्टवेयर 1400 पहले का है
जिसमें अपग्रेडेशन की गुंजाइश नहीं है
हार्डवेयर हैंग होता रहता है
लोग दोष हार्डवेयर को देते हैं
जबकि हार्डवेयर तो महज एक मशीन है।
*
इस्लाम जिस हार्डवेयर पर आधारित है वह ईसाईयत है जो पहले क्लोज एंडेड था लेकिन पुनर्जागरण ने उसके सॉफ्टवेयर को अपग्रेड होने लायक बना दिया।
*
यही हाल सनातन ब्रांड सॉफ्टवेयर का है जो अनगिनत बार अपग्रेड हुआ है
जिस कारण हिन्दू का हार्डवेयर हैंग नहीं हो पाता लंबे समय तक।
*
पता नहीं इस्लाम में हैंग होने को ही अपग्रेड होना क्यों कहते हैं?
*
चूँकि इस्लाम में काफ़िर के लिये घोर  दंडविधान है इसलिए इस्लामिक सॉफ्टवेयर में काफ़िर भी एक महत्वपूर्ण स्टेकहोल्डर है,
इसलिए मोसल्लम ईमान वाले अगर सॉफ्टवेयर को अपग्रेड नहीं कर पाये तो काफ़िरों को ही यह जिम्मा लेना पड़ेगा क्योंकि
सवाल आस्था का नहीं
अस्तित्व का है।
जै राम जी की!
(दोस्तो, सहमत हों तो इसे कॉपी-पेस्ट करके शेयर करें।इसलिये कमेंट बॉक्स में भी डाल दिया है।)

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home