Thursday, August 25, 2016

विदेश नीति और मुस्लिम वोटबैंक

संता: भारत की तब और अब की विदेशनीति में क्या फर्क है?
बंता: पहले पार्टीहित सर्वेसर्वा था और अब राष्ट्रहित।
संता: जैसे?
बंता: मुस्लिम वोटबैंक के लिए काँग्रेस ने बिना किसी राष्ट्रीय लाभ के जाहिल अरब देशों का समर्थन किया और एक मजबूत मित्रदेश इस्राइल का विरोध।
संता: और अब?
बंता: आज अरब देशों के मित्र अमेरिका और दुश्मन इस्राइल तथा ईरान दोनों से भारत के अच्छे सम्बन्ध हैं।
संता: क्या अब भारत से मुस्लिम वोटबैंक ख़त्म हो गया?
बंता: नहीं, दूसरे अन्य बैंक खुल गए हैं जो बतौर सूद राष्ट्रीय हित पर अडिग हैं।

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