Thursday, August 4, 2016

क्या जनता हमेशा सही होती है ?

अगर जनता हमेशा सही होती है तो
हिटलर और मुसोलिनी को अपने-अपने देश की जनता का ही नहीं बल्कि यूरोप के बड़े हिस्से का समर्थन था।ऐसे में लाखों लोगों को मौत के घाट उतारनेवाले इन तानाशाहों का विरोध करनेवाले भी एक तरह के मानसिक विकृति के शिकार कहे जाएँगे? बोले तो सेकुलर-वामी-इवांजेलिस्ट-इस्लामिस्ट ब्रिगेड!
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असल में 'लालू और लालू की जनता' के लिए ज़ार-ज़ार रोने वाले भी फ़ासिस्ट की परिभाषा पर एकदम खड़े उतरते हैं बस अंतर यही है कि ये 'सेकुलरिज़्म की खाल' ओढ़े हुए जिहादी हैं वैसे ही जैसे हिटलर भी सोशलिज्म की खाल ओढ़ कर फ़ासिस्ट बना था।
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ऐसी  बौद्धिक कायरता और मानसिक ग़ुलामी सिर्फ़ इस्लामी देशों में पाई जाती है जहाँ 'अंतिम किताब और अंतिम पैग़म्बर ' के आधार पर समाज और सत्ता चलती है।
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गुँजन सिन्हा जी, आपकी एक-एक पोस्ट खँडहर होते वर्तमान और विकृत होते भविष्य की दास्तान है।आज बिहार के लिए आप वही दस्तावेज़ तैयार कर रहे हैं जो 1960-70 के दशक में महाश्वेता देवी ने बंगाल के लिए किया था।आपको शत-शत नमन।

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