Thursday, August 11, 2016

नोट: ज़्यादा पढ़े-लिखे लोग इस प्रलाप पर ध्यान न दें।

नोट: ज़्यादा पढ़े-लिखे लोग इस प्रलाप पर ध्यान न दें।

समाजवादी सोवियत संघ के लेनिन-स्टालिन नायक हैं क्योंकि उन्होंने दो करोड़ लोगों को भवसागर पार करवाया।
इसी अनुभव का लाभ उठाते हुए 25 बरस बाद साम्यवादी चीन के चेयरमैन माओ ने चार करोड़ का आँकड़ा पार कर लिया और वे क्रान्ति के महानायक हो गए।
फ़िर अपनी ज़मीन और जान को बचाने के लिये आत्मरक्षा में हथियार उठानेवाले किसान नेता ब्रह्मेश्वर 'मुखिया' बिहार के कसाई कैसे हो गए?

पोंगापंथियों ने 450 सालों तक कबीर को कवि नहीं माना तो क्या इस दौरान वे कवि नहीं थे?
शिवाजी और गुरु गोविन्दसिंह को ईसाई मिशनरी तथा सेकुलर-वामपंथियों ने ठग और लुटेरा कहा तो क्या पिछले 150 सालों तक वे हमारे योद्धा  नहीं रहे?

मानसिंह ने अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली तो क्या महाराणा प्रताप हमारे प्रेरक और नायक नहीं रहे? पता करिये कितने लोगों ने अंग्रेज़ों के खिलाफ आज़ादी की लड़ाई में अकबर और मानसिंह से प्रेरणा ली थी?

सफलता ही अगर पैमाना है तो क्यों न जयचंदों और मीर ज़ाफ़रों को राष्ट्रीय नायक घोषित कर दिया जाए? तिलक- गाँधी-अरविन्द -भगत सिंह-नेताजी को कूड़ेदान में डाल सिर्फ़ नेहरू को देश का पहला और अंतिम भाग्यविधाता घोषित किया जाए?

नोट: धन्यवाद! आप ज्ञान के बोझ से दबे मानसिक दलित नहीं हैं तभी आप इस प्रलाप पर ध्यान दे पाये।

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