Thursday, August 4, 2016

सेकुलर खाल में जेहादी?

क़ुरआन-हदीसों के हवाले से आईएस-अलक़ायदा-तालिबान सरीखे संगठनों का कहना है कि 160 करोड़ मुसलमानों की जिम्मेदारी है कि वे शेष बचे 600 करोड़ ग़ैर-मुसलमानों को या तो मुसलमान बना दें या उनका क़त्ल कर दें।अगर यह सही है तो पूरी दुनिया में क़तलोगारत की जड़ में यही बात है।
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लेकिन क़ुरआन-हदीसों के हवाले से इसे ग़लत साबित करनेवाले भी खुलकर अपनी बात कहें और आईएस के संदर्भो को झूठा करार दें।
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अगर आईएस के सन्दर्भ सही पाये गए तो क्या सुशिक्षित और सभ्य मुसलमान यह कहने की हिम्मत जुटा पाएँगे कि वे गैर-मुसलमानों के प्रति नफ़रत भरने या हिंसा के लिए कौल देनेवाले किसी भी सन्दर्भ को नहीं मानते।
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ये सन्दर्भ हैं:
काफ़िर वाजिबुल क़त्ल
क़त्ताल फ़ी सबीलिल्लाह
जिहाद फ़ी सबीलिल्लाह
दारुल हरब
दारुल इस्लाम
ग़ज़वा-ए-हिन्द
जिहाद
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अगर सुशिक्षित-सभ्य मुसलमान अब भी अपनी चुप्पी नहीं तोड़ते हैं तो इसका मतलब यह निकलेगा कि वे भी मन से आईएस के साथ हैं, सेकुलर खाल में जिहादी हैं और वे तभी तक चुप हैं जबतक ग़ैर-मुसलमान उनसे मजबूत हैं और  इस्लामी जिहाद की सच्चाई से अनभिज्ञ हैं।

नोट: श्री तुफैल चतुर्वेदी की पोस्ट से प्रेरित।

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