हिन्दीवाले इन ग़ुलामों के भी ग़ुलाम जैसा व्यवहार करते
मानसिक ग़ुलामी जनित बौद्धिक कायरता और बंजरपने में भारतीय भाषा-भाषियों में हिंदीवाले बेज़ोर हैं। इसका यह मतलब नहीं कि अंग्रेज़ी वाले ग़ुलाम नहीं हैं। वे हैं और ग़ुलामी के दर्शन के अकुंठ शिकार हैं जबकि हिन्दीवाले इन ग़ुलामों के भी ग़ुलाम जैसा व्यवहार करते रहे हैं। हाँ, सोशल मीडिया की धमक से स्थिति थोड़ी बेहतर ज़रूर हुई है।
22.11.16
22.11.16
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