'जय श्रीराम' कहनेवालों ने ही पैग़म्बर के परिजनों को शरण दी थी , कोई शक?
'जय श्रीराम' कहनेवालों ने ही प्रताड़ित यहूदियों, पारसियों और पैग़म्बर के परिजनों को शरण दी थी , कोई शक?
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मोदी ने लखनऊ में दशहरे के अवसर पर अपने भाषण की शुरुआत "जय श्रीराम" से क्या कर दी कि बौद्धिक कायर, बुद्धिविलासी , बुद्धिवंचक और बुद्धिपिशाच हुआँ-हुआँ करने लगे:
प्रधानमंत्री ने मर्यादा का उल्लंघन किया है।
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भई, मर्यादा क्या है? इफ़्तार की राजनीति? अरब की नक़ल पर ख़ुदा हाफिज की जगह अल्लाह हाफिज? वोट के लिये महिला विरोधी तीन तलाक़? चार बेटियोंवाली 60 साल से ऊपर की बेसहारा शाहबानो को गुजाराभत्ता देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संसद से क़ानून पास करवाकर निरस्त करना?
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मोदी ने नये भारत का शंखनाद किया है। इसे सर्जनात्मक ध्वंस कहते हैं। पश्चिमपरस्त बौद्धिक नक्काली को धता बताकर हज़ारों बरस की ऊर्जस्वित परम्परा को अपनाना असली मर्यादा की पुनर्प्राप्ति है , न कि मर्यादा का उल्लंघन।
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सेकुलरिज्म के जन्म से सैकड़ों साल पहले भारत ने दुनिया भर के सताये हुए यहूदियों, ईरान के पारसियों और अरब के मुसलमानों (पैग़म्बर की मृत्यु के बाद उनके परिवारवालों ) को ससम्मान शरण दी थी कि नहीं? अगर हाँ, तो यह 'जय श्रीराम' के कारण था या आयातित सेकुलरिज्म के?
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भारत बदल रहा है। यह खुद से विमर्शरत है। इसमें असली और नकली की पहचान की सलाहियत पनप रही है। यह चाणक्य, शंकराचार्य, कबीर, रसखान, रहीम, दारा शिकोह, नज़ीर, गाँधी और पटेल का भारत है जिनकी जड़ें इसी मुल्क़ की ज़मीन में थीं। इसलिये वे धर्मप्राण थे, सिर्फ हिन्दू-मुसलमान या मजहबी नहीं थे।
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यह नया भारत नेहरू का नहीं ही होगा, उस नेहरू का जिनकी जड़ें यूरोप के आसमान में थीं; जो गर्व से कहते थे:
मैं जन्म से भारतीय और स्वभाव से यूरोपीय हूँ।
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इसलिए 'जय श्रीराम' सिर्फ एक नारा नहीं है, यह अधर्म पर धर्म की विजय का उद्घोष है। धर्म मतलब मजहब या रिलिजन नहीं, बल्कि व्यक्ति, परिवार, समाज, देश, विश्व और पूरी प्रकृति के प्रति कर्त्तव्य। अधर्म मतलब धर्म-विरुद्ध आचरण।
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आज लखनऊ का ऐशबाग रामलीला मैदान कल का कुरुक्षेत्र है जिसमें शांति के प्रयासों के चुक जाने के बाद कृष्ण ने रणभेरी बजायी थी। यह रणभेरी पाकिस्तान ही नहीं पाकिस्तानपरस्तों के खिलाफ भी है; यह रणभेरी मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के विरोधी वोटबाज़ नेताओं के खिलाफ भी है; और, हजार सालों से दब्बू बने पढ़े-लिखों में आत्मविश्वास का संचार करने के लिये भी है।
#जय_श्रीराम #मोदी #ऐशबाग
#JaiShriRam #Modi #AishbagRamleela #ModiInLucknow
12।10
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मोदी ने लखनऊ में दशहरे के अवसर पर अपने भाषण की शुरुआत "जय श्रीराम" से क्या कर दी कि बौद्धिक कायर, बुद्धिविलासी , बुद्धिवंचक और बुद्धिपिशाच हुआँ-हुआँ करने लगे:
प्रधानमंत्री ने मर्यादा का उल्लंघन किया है।
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भई, मर्यादा क्या है? इफ़्तार की राजनीति? अरब की नक़ल पर ख़ुदा हाफिज की जगह अल्लाह हाफिज? वोट के लिये महिला विरोधी तीन तलाक़? चार बेटियोंवाली 60 साल से ऊपर की बेसहारा शाहबानो को गुजाराभत्ता देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संसद से क़ानून पास करवाकर निरस्त करना?
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मोदी ने नये भारत का शंखनाद किया है। इसे सर्जनात्मक ध्वंस कहते हैं। पश्चिमपरस्त बौद्धिक नक्काली को धता बताकर हज़ारों बरस की ऊर्जस्वित परम्परा को अपनाना असली मर्यादा की पुनर्प्राप्ति है , न कि मर्यादा का उल्लंघन।
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सेकुलरिज्म के जन्म से सैकड़ों साल पहले भारत ने दुनिया भर के सताये हुए यहूदियों, ईरान के पारसियों और अरब के मुसलमानों (पैग़म्बर की मृत्यु के बाद उनके परिवारवालों ) को ससम्मान शरण दी थी कि नहीं? अगर हाँ, तो यह 'जय श्रीराम' के कारण था या आयातित सेकुलरिज्म के?
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भारत बदल रहा है। यह खुद से विमर्शरत है। इसमें असली और नकली की पहचान की सलाहियत पनप रही है। यह चाणक्य, शंकराचार्य, कबीर, रसखान, रहीम, दारा शिकोह, नज़ीर, गाँधी और पटेल का भारत है जिनकी जड़ें इसी मुल्क़ की ज़मीन में थीं। इसलिये वे धर्मप्राण थे, सिर्फ हिन्दू-मुसलमान या मजहबी नहीं थे।
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यह नया भारत नेहरू का नहीं ही होगा, उस नेहरू का जिनकी जड़ें यूरोप के आसमान में थीं; जो गर्व से कहते थे:
मैं जन्म से भारतीय और स्वभाव से यूरोपीय हूँ।
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इसलिए 'जय श्रीराम' सिर्फ एक नारा नहीं है, यह अधर्म पर धर्म की विजय का उद्घोष है। धर्म मतलब मजहब या रिलिजन नहीं, बल्कि व्यक्ति, परिवार, समाज, देश, विश्व और पूरी प्रकृति के प्रति कर्त्तव्य। अधर्म मतलब धर्म-विरुद्ध आचरण।
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आज लखनऊ का ऐशबाग रामलीला मैदान कल का कुरुक्षेत्र है जिसमें शांति के प्रयासों के चुक जाने के बाद कृष्ण ने रणभेरी बजायी थी। यह रणभेरी पाकिस्तान ही नहीं पाकिस्तानपरस्तों के खिलाफ भी है; यह रणभेरी मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के विरोधी वोटबाज़ नेताओं के खिलाफ भी है; और, हजार सालों से दब्बू बने पढ़े-लिखों में आत्मविश्वास का संचार करने के लिये भी है।
#जय_श्रीराम #मोदी #ऐशबाग
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12।10
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