Thursday, December 22, 2016

सोशल मीडिया को बंद करो , बंद करो बंद करो!

सोशल मीडिया को बंद करो , बंद करो बंद करो!

"साहित्य से तथ्य ग़ायब हैं और पत्रकारिता से सत्य", इसलिए आज सोशल मीडिया सबका अपना-सा है। लेकिन टीवी-अख़बार के बड़े लोगों के लिये सोशल मीडिया तो 'ब्राह्मण समाज में ज्यों अछूत' है।

सोशल मीडिया पर 'जय श्रीराम' को कम्युनल और 'अल्लाहो अकबर' को सेकुलर कहने का बौद्धिक दोगलापन अस्वीकार है;
दिल्ली दंगे को सेकुलर और गुजरात को कम्युनल कहनेवाले को बोबिया दिया जाता है;
दुर्गापूजा -रामलीला को कम्युनल और रमजान-सहरी-इफ़्तार-ईद-ताज़िया को सेकुलर कहनेवाले को दो-कौड़ी का पप्पू बनाकर छोड़ देता है सोशल मीडिया।

सोशल मीडिया मोदी-विरोध के उद्योग को भी उसकी औकात में रखता है;
वह उन्हें भी नचनी-नाच नचा डालता है जो हिन्दुस्तानी पासपोर्ट पर दिल से पाकिस्तानी नागरिक हैं और जिनका पसंदीदा गीत है:
भारत तेरे टुकड़े होंगे , इंशाल्लाह इंशाल्लाह!

तो आइये हम सब संकल्प लें कि जबतक सोशल मीडिया को प्रतिबंधित नहीं किया जाता तबतक हमलोग इसके अलोकतांत्रिक चरित्र का विरोध करते रहेंगे:

सोशल मीडिया को बंद करो , बंद करो बंद करो!
भारत की बर्बादी तक, जंग रहेगी जंग रहेगी!
जय श्रीराम नहीं चलेगा, इंशाल्लाह इंशाल्लाह!
हँस के लिया है पाकिस्तान, लड़ के लेंगे हिन्दुस्तान!
12।10

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