Wednesday, December 7, 2016

भारत में बौद्धिकता का उद्भव और विकास

भारत में बौद्धिकता का उद्भव और विकास


आज भारत में बौद्धिकता के उद्भव और विकास की रूपरेखा पेश करने की जरुरत है क्या?
अगर हाँ, तो आपलोग निम्न प्रस्ताव पर अपनी राय दें:
...
¶ वैदिक युग से 10वीं सदी तक ¶
● खुद और समाज को देसी दृष्टि से देखते हुये परस्पर पूरक और विरोधी दर्शनों से देखनेवाले ऋषि, मुनि, अवतारी पुरूष, वैज्ञानिक आदि।मनु, वाल्मीकि, शंबूक, विश्वामित्र, सूर्या सावित्री, पतंजलि, पाणिनि, राम, कृष्ण, तिरुवल्लुवर, महावीर, बुद्ध, चाणक्य, भास्कराचार्य, वराहमिहिर, चरक, सुश्रुत, कालिदास, भवभूति और शंकराचार्य जैसे सैकड़ों नाम इसके उदाहरण हैं।
¶ 11वीं सदी से 18 वीं सदी तक ¶
● राजनैतिक रूप से ग़ुलाम देश को उसकी सामाजिक कमज़ोरियों से मुक्ति दिलाने के साथ-साथ वृहद् मानवीयता में आत्मविश्वास की पुनर्प्रतिष्ठा करानेवाले भक्त और कवि जिह्नोंने आज की प्रचलित भाषाओं के विभिन्न रूपों में अपनी बातें कहीं।
रामानंद, नानक, बुल्लेशाह, मीरा, कबीर, रविदास, शंकरदेव, नामदेव, तुकाराम, नरसिंहमेहता, तुलसीदास और चंडीदास जैसे महान संत, समाजसुधारक और कवि।
¶19वीं सदी से देश की आज़ादी तक¶
I
● यूरोपीय विज्ञान से प्रभावित लेकिन भारतीय सभ्यता की मौलिक श्रेष्ठता में आस्था रखनेवाले, देश को सामाजिक कुरीतियों और राजनैतिक ग़ुलामी से मुक्ति दिलाने के लिये युद्धरत महापुरुष:
राजा राममोहन राय, बंकिमचंद्र, दयानंद, रामकृष्ण परमहंस, विवेकानंद, दादाभाई नौरोजी, सखाराम देउस्कर, भूदेव बंद्योपाध्याय, तिलक, रानाडे, गोखले, अरविंद, टैगोर, राजेन्द्र प्रसाद, लोहिया, गाँधी आदि।
II

यूरोपीय ज्ञान-विज्ञान में लगभग अंध-श्रद्धा रखनेवाले, भारत के मूल सभ्यतागत व्यक्तित्व से अपरिचित पर देश को सामाजिक कुरीतियों या/और राजनैतिक ग़ुलामी से मुक्ति दिलानेके लिये युद्धरत महापुरुष:
फूले, पेरियार, डॉ अम्बेडकर, एमएन रॉय, जवाहरलाल नेहरू, जिन्ना, सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह , रजनी पाम दत्त और मौलाना आज़ाद जैसे लोग।

1.12.16

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