Thursday, December 22, 2016

गाँधी, नेहरू और पटेल

गाँधी, नेहरू और पटेल

■ गाँधी के आलोचक अक्सर सवाल उठाते हैं कि बापू ने सब कुछ जानते हुए पटेल की जगह नेहरू को क्यों आगे बढ़ाया?

■ नेहरू चूँकि सिर्फ तन से भारतीय और मन से यूरोपीय थे  इसलिए अंग्रेज़ों को पटेल से कहीं ज्यादा प्यारे थे। गाँधी ने इसी बात को देशहित में इस्तेमाल करना चाहा होगा कि जाते-जाते अंग्रेज़ खुन्नस में और ज्यादा समस्याएँ न खड़ी कर दें। फिर पटेल भी अगर इस बात को नहीं समझते तो गाँधी विरोध के बावजूद वे प्रधानमंत्री बन सकते थे क्योंकि संगठन उनके पक्ष में था। दूसरे , नेहरू अपेक्षतया युवा थे। पटेल तो लगभग गाँधी के हमउम्र थे।

■ नेहरू के प्रति गाँधी के लगाव को लेंस लगाकर देखनेवाले अक्सर भूल जाते हैं कि गाँधी ने यह भी कहा था कि "काँग्रेस को भंग कर देना चाहिए"। इस घोषणा की कीमत गाँधी ने जान देकर चुकाई।
● गाँधी के हत्यारे गाँधी की हत्या से महीना भर पहले गिरफ्तार हुए थे फिर भी क्यों छोड़ दिए गए?
● गोडशे ने गाँधी को तीन ही गोलियाँ मारी थीं तो चौथी कहाँ से आ गईं?
● जब नेताजी से जुड़ी फाइलों पर बैठा जा सकता है, सब कुछ जानते हुए नेहरू नेताजी की विमान दुर्घटना में मौत की झूठी खबर दे सकते थे तो क्या कुछ नहीं हो सकता था?

■ संता-बंता की समझ पर मुझे ज्यादा भरोसा जगता है:
संता: नेहरू और पटेल दोनों को गाँधीजी एक साथ कैसे हैंडल करते थे?
बंता: नेहरू को सत्ता और पटेल को राष्ट्र-निर्माण की छड़ी से।

#Gandhi #Nehru #Patel
#गाँधी #नेहरू #पटेल
8।10

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