वामपंथ और इस्लाम भाई-भाई हैं
वामपंथ और इस्लाम भाई-भाई हैं
पवित्र किताब इधर भी है उधर भी
पैग़म्बर इधर भी हैं उधर भी
अन्य का संहार इधर भी है उधर भी।
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सही मायने में साम्यवाद इस्लाम का ही विस्तार है। ऐसा नहीं होता तो उसपर आधारित साम्यवाद महज 55 सालों में 10 करोड़ के नरसंहार का कारण नहीं बनता , न ही लेनिन-स्टालिन-माओ-पॉल पॉट महानायक होते। ये महानायक तो हिटलर खलनायक कैसे?
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सिर्फ़ जिहाद, दारुल इस्लाम, दारुल हरब , मुसलमान, काफ़िर के साथ वर्ग संघर्ष, वर्गविहीन समाज, वर्गविभक्त समाज, सर्वहारा और बुर्ज़ुआ की तात्विक तुलना करके देख लीजिये।
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समय मिले तो क़त्ताल फ़ी सबीलिल्लाह, जिहाद फ़ी सबीलिल्लाह, काफ़िर वाजिबुल क़त्ल और ग़ज़वा-ए-हिन्द को चे ग्वारा-स्टालिन-माओ आदि के विरोधी-संहार कार्यक्रमों से मिलाकर देखिये।
11।9।16
पवित्र किताब इधर भी है उधर भी
पैग़म्बर इधर भी हैं उधर भी
अन्य का संहार इधर भी है उधर भी।
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सही मायने में साम्यवाद इस्लाम का ही विस्तार है। ऐसा नहीं होता तो उसपर आधारित साम्यवाद महज 55 सालों में 10 करोड़ के नरसंहार का कारण नहीं बनता , न ही लेनिन-स्टालिन-माओ-पॉल पॉट महानायक होते। ये महानायक तो हिटलर खलनायक कैसे?
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सिर्फ़ जिहाद, दारुल इस्लाम, दारुल हरब , मुसलमान, काफ़िर के साथ वर्ग संघर्ष, वर्गविहीन समाज, वर्गविभक्त समाज, सर्वहारा और बुर्ज़ुआ की तात्विक तुलना करके देख लीजिये।
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समय मिले तो क़त्ताल फ़ी सबीलिल्लाह, जिहाद फ़ी सबीलिल्लाह, काफ़िर वाजिबुल क़त्ल और ग़ज़वा-ए-हिन्द को चे ग्वारा-स्टालिन-माओ आदि के विरोधी-संहार कार्यक्रमों से मिलाकर देखिये।
11।9।16
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