बिहार से जेएनयू तक भइया सेकुलर नगारा बजा
बिहार से जेएनयू तक भइया सेकुलर नगारा बजा
बाजा बजा रे बाजा बजा, ई देसवा के बाजा बजा।
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बिहार में सेकुलरुद्दीन को जो सामाजिक गरिमा मिली है वही सम्मान देशतोड़कों को जेएनयू में भी मिला है।बिहार की जनता अगर समझदार है तो जेएनयू वाले तो पढ़ेलिखे समझदार हैं। अब न बिहार के लोगों को देश-दुनिया से शिकायत होगी न ही जेएनयू में भारत की बर्बादी की कसमें खानेवालों को।
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कहा जा रहा है कि हजारों गाड़ियों का जो काफ़िला भागलपुर जेल से सीवान के लिए चला और मंत्रियों-विधायकों का जो हुजूम अपने नायक के स्वागत में पेश हुआ उसके सामने लोकनायक जयप्रकाश नारायण भी पानी भरें।
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बात भी सही है। भुजङ्ग प्रसाद और चन्दन कुमार हैं तो लोकनायक के ही चेले।सो अब उन्होंने अपने लिए नया लोकनायक खड़ा कर लिया है। जेपी को गए हुए 35 साल से ज़्यादा हो गए। शून्य तो भरना ही था सो सेकुलरुद्दीन आ गए। अब देश को बिन क़ासिम, तैमूर या नादिरशाह की कमी नहीं खलेगी।
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उधर अफ़ज़लप्रेमी गैंग का दिल भी गार्डेन-गार्डेन हो गया है। अलगाववादियो और कश्मीरी हिंदुओं के जातिनाश के जिम्मेदार पाकपरस्तों की सुरक्षा पर अरबों रुपये बहाये जा रहे हैं। अफ़ज़ल गुरु की बरसी पर "भारत तेरे टुकड़े होंगे" का नारा लगानेवालों के साथ जेएनयू जैसे इलीट विश्वविद्यालय के छात्र और शिक्षक चट्टान की तरह खड़े हैं।
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भारत में 1947 में पहली क्रान्ति हुई थी जब देश का मजहब के आधार पर दिव्य-विखण्डन हुआ था। वैसी ही क्रांति आज मगध से लेकर इंद्रप्रस्थ तक हो रही है।हज़ार सालों के अनुभव को यह देश फ़िर से जी रहा है।
जयचंद, राणा सांगा, मीरज़ाफ़र, मान सिंह, जिन्ना, जोगेन्द्र मंडल आदि की आज धरती और स्वर्ग दोनों में ताजपोशी हो रही है। जहाँ इसका राजनैतिक नेतृत्व किया है महानन्द के मगध -सुराज ने वहीं बौद्धिक कमान संभाली है धृतराष्ट्र के इंद्रप्रस्थ-स्थित एक आश्रम (जेएनयू) ने।
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नोट: इस नाचीज़ का मगध-सुराज और इंद्रप्रस्थ-आश्रम दोनों से गहरा सम्बन्ध है। दोनों पर गर्व है। तो आइये, आप भी मेरे साथ नारे लगाइये:
● भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाल्लाह इंशाल्लाह...
● भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी जंग रहेगी...
● ग़ज़वा-ए-हिन्द, ग़ज़वा-ए-हिन्द
इंशाल्लाह इंशाल्लाह...
● निज़ाम-ए-मुस्तफ़ा, निज़ाम-ए-मुस्तफ़ा
इंशाल्लाह इंशाल्लाह...
11।9।16
बाजा बजा रे बाजा बजा, ई देसवा के बाजा बजा।
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बिहार में सेकुलरुद्दीन को जो सामाजिक गरिमा मिली है वही सम्मान देशतोड़कों को जेएनयू में भी मिला है।बिहार की जनता अगर समझदार है तो जेएनयू वाले तो पढ़ेलिखे समझदार हैं। अब न बिहार के लोगों को देश-दुनिया से शिकायत होगी न ही जेएनयू में भारत की बर्बादी की कसमें खानेवालों को।
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कहा जा रहा है कि हजारों गाड़ियों का जो काफ़िला भागलपुर जेल से सीवान के लिए चला और मंत्रियों-विधायकों का जो हुजूम अपने नायक के स्वागत में पेश हुआ उसके सामने लोकनायक जयप्रकाश नारायण भी पानी भरें।
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बात भी सही है। भुजङ्ग प्रसाद और चन्दन कुमार हैं तो लोकनायक के ही चेले।सो अब उन्होंने अपने लिए नया लोकनायक खड़ा कर लिया है। जेपी को गए हुए 35 साल से ज़्यादा हो गए। शून्य तो भरना ही था सो सेकुलरुद्दीन आ गए। अब देश को बिन क़ासिम, तैमूर या नादिरशाह की कमी नहीं खलेगी।
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उधर अफ़ज़लप्रेमी गैंग का दिल भी गार्डेन-गार्डेन हो गया है। अलगाववादियो और कश्मीरी हिंदुओं के जातिनाश के जिम्मेदार पाकपरस्तों की सुरक्षा पर अरबों रुपये बहाये जा रहे हैं। अफ़ज़ल गुरु की बरसी पर "भारत तेरे टुकड़े होंगे" का नारा लगानेवालों के साथ जेएनयू जैसे इलीट विश्वविद्यालय के छात्र और शिक्षक चट्टान की तरह खड़े हैं।
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भारत में 1947 में पहली क्रान्ति हुई थी जब देश का मजहब के आधार पर दिव्य-विखण्डन हुआ था। वैसी ही क्रांति आज मगध से लेकर इंद्रप्रस्थ तक हो रही है।हज़ार सालों के अनुभव को यह देश फ़िर से जी रहा है।
जयचंद, राणा सांगा, मीरज़ाफ़र, मान सिंह, जिन्ना, जोगेन्द्र मंडल आदि की आज धरती और स्वर्ग दोनों में ताजपोशी हो रही है। जहाँ इसका राजनैतिक नेतृत्व किया है महानन्द के मगध -सुराज ने वहीं बौद्धिक कमान संभाली है धृतराष्ट्र के इंद्रप्रस्थ-स्थित एक आश्रम (जेएनयू) ने।
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नोट: इस नाचीज़ का मगध-सुराज और इंद्रप्रस्थ-आश्रम दोनों से गहरा सम्बन्ध है। दोनों पर गर्व है। तो आइये, आप भी मेरे साथ नारे लगाइये:
● भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाल्लाह इंशाल्लाह...
● भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी जंग रहेगी...
● ग़ज़वा-ए-हिन्द, ग़ज़वा-ए-हिन्द
इंशाल्लाह इंशाल्लाह...
● निज़ाम-ए-मुस्तफ़ा, निज़ाम-ए-मुस्तफ़ा
इंशाल्लाह इंशाल्लाह...
11।9।16
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