Friday, December 30, 2016

अपनी-अपनी ज़न्नतों के लिए

तैमूर तो लंगड़ा था
आततायी नरसंहारी था।
तो क्या
बिन क़ासिम, ग़ोरी, ग़ज़नी
बाबर, नादिरशाह, अब्दाली
औरंगज़ेब, चंगेज़ ख़ान, लेनिन
माओ, पोल पॉट, स्टालिन, चर्चिल
पॉल, फ्रांसिस, ज़ेवियर, डिनोबली
मैकॉले, क्लाइव, हिटलर
और इनके अनुयायी
कम लंगड़े हैं?
मन के इन लंगड़ों को जो
मन में ही नहीं मारा तो
अपनी ज़न्नतों के लिए
ये कभी भी कुछ भी कर सकते हैं।
सावधान!
26।12।16

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