Wednesday, December 7, 2016

यह कविता नहीं दस्तावेज़ है

नागरिक सड़क पर
एक अरसे बाद जीता है
कालाधन संसद में
हमेशा की तरह जीतेगा
क्योंकि संसद में हंगामा...
और सड़क पर शान्ति है।
*
जनहित संसद में लाचार है
होता जहाँ वोट का व्यापार है
जिसमें वोटर खुदरा विक्रेता
और नेता थोक खरीददार है
संसद से सड़क तक अब
भ्रष्टाचार ही आचार है।
*
यह कविता नहीं दस्तावेज़ है
जो बापू का 'हिन्द स्वराज' है
उसमें संसद 'वेश्या और बाँझ' है।

29.11.16

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