देशकाल को ठेंगा दिखाता Happy New Year!
नये वर्ष का सम्बन्ध जहाँ आप रहते हैं
उसकी ऋतु से है, मौसम से है
सूरज से है, चाँद से है, ज़मीन और आकाश से है
पेड़-पौधों से है, रस से है, गंध से है;
और यह विज्ञान है,
कपोल कल्पना नहीं।
*
कैसा लगता है ठण्ड में नया साल मनाना,
ऐसे मुल्क में जहाँ ग्रीष्म,वर्षा, शरद के अलावा
बसंत ऋतु भी हो जब मन-मतंग मदमस्त हो जाता है?
कुछ तो लोचा है भाई,
नहीं तो हमारे गाँव में इसका इंतज़ार लोग क्यों नहीं करते,
ढोर, पंछी, नदी-नाले, प्रकृति कहीं किसी के अंग उमंग में फड़कते क्यों नहीं?
भारत का आभिजात्य इसी कड़क ठण्ड में कड़क दारू पीकर कपड़ा-उतार नृत्य देखते हुए देशकाल को दिलोजान से झुठलाने की हाड़तोड़ कोशिश करता है जब वह कहता है:
Happy New Year!
30।1216
उसकी ऋतु से है, मौसम से है
सूरज से है, चाँद से है, ज़मीन और आकाश से है
पेड़-पौधों से है, रस से है, गंध से है;
और यह विज्ञान है,
कपोल कल्पना नहीं।
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कैसा लगता है ठण्ड में नया साल मनाना,
ऐसे मुल्क में जहाँ ग्रीष्म,वर्षा, शरद के अलावा
बसंत ऋतु भी हो जब मन-मतंग मदमस्त हो जाता है?
कुछ तो लोचा है भाई,
नहीं तो हमारे गाँव में इसका इंतज़ार लोग क्यों नहीं करते,
ढोर, पंछी, नदी-नाले, प्रकृति कहीं किसी के अंग उमंग में फड़कते क्यों नहीं?
भारत का आभिजात्य इसी कड़क ठण्ड में कड़क दारू पीकर कपड़ा-उतार नृत्य देखते हुए देशकाल को दिलोजान से झुठलाने की हाड़तोड़ कोशिश करता है जब वह कहता है:
Happy New Year!
30।1216
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