असग़र वजाहत की पोस्ट में चन्द्रकान्त प्र सिंह
(प्रोफेसर असग़र वजाहत की वाल से जो उन्होंने 21 दिसम्बर को लिखी और जिसका लिंक मैंने 23 दिसम्बर 2016 को अपनी वाल पर दिया।)
फेसबुक पर श्री चंद्रकांत पी सिंह की पोस्ट के संदर्भ में यह लिख रहा हूं यदि आप चाहें तो पहले श्री चंद्रकांत पी सिंह की पोस्ट को पढ़ सकते हैं।
मैं कहना चाहता हूं कि क्या देश के लोगों के बीच अविश्वास ,घृणा और हिंसा की भावना फैलाना देशभक्ति या देश प्रेम है ?
या देशवासियों के प्रति आपसी प्रेम भाव , विश्वास और एकता स्थापित करना देशभक्ति और देश प्रेम है?
मैं बहुत लंबे समय से देख रहा हूं कि facebook पर खुलेआम हिंदू और मुस्लिम संप्रदाय के लोग एक-दूसरे के खिलाफ घृणा, हिंसा की भावना फैला रहे हैं । हमें इतिहास बताता है कि भारत विभाजन से पहले इसी प्रकार की घृणा और हिंसा फैलाई गई थी।जिसकी निंदा की जाती है।
आज आजादी के70 साल बाद यह हिंसा और घृणा की भावना क्यों फैलाई जाती है? क्या कारण है ?उसका क्या आधार है ? और उसका क्या उद्देश है ?इस पर विचार करना हर उस आदमी का कर्तव्य है जो इस देश में शांति, एकता, भाईचारा और विकास चाहता है। इसलिए हमारा फर्ज बनता है कि हम कि हम देश की एकता और अखंडता को तोड़ने वाले उन लोगों और शक्तियों का विरोध करें । वे चाहे हिन्दू हों या मुसलमान या किसी और धर्म या जाति के हों। वे देश का भयानक अहित कर रहे हैं।कुछ लोग मानते हैं कि ऐसे लोगों और शक्तियों को 'इग्नोर' किया जाना चाहिए पर मैं यह नहीं मानता। ये देश विरोधी लोग साधारण जनता को भड़काने का काम करते हैं जो देशद्रोह जैसा है।
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