Sunday, December 31, 2017

26.12.17
इस्लाम के बारे में मुकम्मल जानकारी रखना सिर्फ़ 'अल्लावालों' के लिए ही ज़रूरी नहीं है। पर ऐसा क्यों? काफ़िरों और मुशरीक़ों को क्या ग़रज़ पड़ी है कि "ईमान" की बातें जानें, उनपर अपना टाइम 'भेस्ट' करें?
इसे जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर एक नज़र डालें जो शांति के मजहब के सन्देश की महज़ बानगी हैं।
मेरी वाल से जुड़े फेसबुकिया बुद्धिवीर इस पोस्ट को कॉपी-पेस्ट करने की हिम्मत दिखाएँ। लगभग 5000 लोगों में जो ऐसा करेगा वही सत्य की खोज का साथी और बाक़ी फट्टू जिन्हें राम-राम कह ही देना चाहिए।
जिन शांतिदूतों को इन आयतों के हिंदी अर्थ और सन्दर्भ पर संदेह हो वे इनके असली अर्थ और सन्दर्भ बतायें ताकि मुशरीक़ और काफ़िर अँधेरे में न रहें कि अल्लापाक ने उनके लिए क्या-क्या फ़रमाया है:

1- ''फिर, जब पवित्र महीने बीत जाऐं, तो 'मुश्रिको' (मूर्तिपूजको ) को जहाँ-कहीं पाओ कत्ल करो, और पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो। ( कुरान मजीद, सूरा 9, आयत 5) (कुरान 9:5) . www.quran.com/9/5 www.quranhindi.com/p260.htm
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2- ''हे 'ईमान' लाने वालो (केवल एक आल्ला को मानने वालो ) 'मुश्रिक' (मूर्तिपूजक) नापाक (अपवित्र) हैं।'' (कुरान सूरा 9, आयत 28) . www.quran.com/9/28 www.quranhindi.com/p265.htm
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3- ''निःसंदेह 'काफिर (गैर-मुस्लिम) तुम्हारे खुले दुश्मन हैं।'' (कुरान सूरा 4, आयत 101) . www.quran.com/4/101 www.quranhindi.com/p130.htm
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4- ''हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों) उन 'काफिरों' (गैर-मुस्लिमो) से लड़ो जो तुम्हारे आस पास हैं, और चाहिए कि वे तुममें सखती पायें।'' (कुरान सूरा 9, आयत 123) . www.quran.com/9/123 www.quranhindi.com/p286.htm
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5- ''जिन लोगों ने हमारी ''आयतों'' का इन्कार किया (इस्लाम व कुरान को मानने से इंकार) , उन्हें हम जल्द अग्नि में झोंक देंगे। जब उनकी खालें पक जाएंगी तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसास्वादन कर लें। निःसन्देह अल्लाह प्रभुत्वशाली तत्वदर्शी हैं'' (कुरान सूरा 4, आयत 56) www.quran.com/4/56 www.quranhindi.com/p119.htm
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6- ''हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों) अपने बापों और भाईयों को अपना मित्र मत बनाओ यदि वे ईमान की अपेक्षा 'कुफ्र' (इस्लाम को धोखा) को पसन्द करें। और तुम में से जो कोई उनसे मित्रता का नाता जोड़ेगा, तो ऐसे ही लोग जालिम होंगे'' (कुरान सूरा 9, आयत 23) . www.quran.com/9/23 . . www.quranhindi.com/p263.htm .
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7- ''अल्लाह 'काफिर' लोगों को मार्ग नहीं दिखाता'' (कुरान सूरा 9, आयत 37) . www.quran.com/9/37 . . www.quranhindi.com/p267.htm .
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8- '' ऐ ईमान (अल्ला पर यकिन) लानेवालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ। और अल्लाह का डर रखों यदि तुम ईमानवाले हो (कुरान सूरा 5, आयत 57) . www.quran.com/5/57 www.quranhindi.com/p161.htm
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9- ''फिटकारे हुए, (मुनाफिक) जहां कही पाए जाऐंगे पकड़े जाएंगे और बुरी तरह कत्ल किए जाएंगे।'' (कुरान सूरा 33, आयत 61) . www.quran.com/33/61 www.quranhindi.com/p592.htm
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10- ''(कहा जाऐगा): निश्चय ही तुम और वह जिसे तुम अल्लाह के सिवा पूजते थे 'जहन्नम' का ईधन हो। तुम अवश्य उसके घाट उतरोगे।'' ( कुरान सूरा 21, आयत 98 . www.quran.com/21/98 www.quranhindi.com/p459.htm
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11- 'और उस से बढ़कर जालिम कौन होगा जिसे उसके 'रब' की आयतों के द्वारा चेताया जाये और फिर वह उनसे मुँह फेर ले। निश्चय ही हमें ऐसे अपराधियों से बदला लेना है।'' (कुरान सूरा 32, आयत 22) . www.quran.com/32/22 www.quranhindi.com/p579.htm
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12- 'अल्लाह ने तुमसे बहुत सी 'गनीमतों' का वादा किया है जो तुम्हारे हाथ आयेंगी,''(लूट का माल) (कुरान सूरा 48, आयत 20) . www.quran.com/48/20 . . www.quranhindi.com/p713.htm
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13- ''तो जो कुछ गनीमत (लूट का माल जैसे लूटा हुआ धन या औरते) तुमने हासिल किया है उसे हलाल (valid) व पाक समझ कर खाओ (उपयोग करो)' (कुरान सूरा 8, आयत 69) . www.quran.com/8/69 www.quranhindi.com/p257.htm
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14- ''हे नबी! 'काफिरों' और 'मुनाफिकों' के साथ जिहाद करो, और उन पर सखती करो और उनका ठिकाना 'जहन्नम' है, और बुरी जगह है जहाँ पहुँचे'' (कुरान सूरा 66, आयत 9) . www.quran.com/66/9 www.quranhindi.com/p785.htm
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15- 'तो अवश्य हम 'कुफ्र' (इस्लाम को धोखा देने वालो) करने वालों को यातना का मजा चखायेंगे, और अवश्य ही हम उन्हें सबसे बुरा बदला देंगे उस कर्म का जो वे करते थे।'' (कुरान सूरा 41, आयत 27) . www.quran.com/41/27 www.quranhindi.com/p662.htm
(आभार: श्री Naresh Shah)

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