Wednesday, September 23, 2015

औरंगजेब को दिल से और कलाम को दूर से सलाम

आप सब कलेजे पर हाथ रखिये
और
जिस किसी का नाम लेना है लेकर
खुद से एक सवाल पूछिये:
आज एक औसत
पढ़ा-लिखा मुसलमान
औरंगजेब को दिल से
और
डा अब्दुल कलाम को दूर से
सलाम करता है कि नहीं?
तो क्या गलत अगर एक मंत्री ने कह दिया
कि
मुसलमान होने के बावजूद
डा कलाम राष्ट्रीय हैं?
यह एक सत्य है
जो अप्रिय है।
बस, और कुछ नहीं ।
याद आ रही है वो ग़ज़ल?
अरे भई, अपने मशहूर पाकिस्तानी गायक की आवाज़ में?
चलो , कुछ-कुछ याद आया---
'हंगामा है क्यों बरपा थोड़ी-सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला चोरी तो नहीं की है'...

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