कमलेश तिवारी गिरफ्तार, फिर आज़म क्यों नहीं?
जिस बयानबाज़ी के खिलाफ बयान के एक मीने बाद हिन्दू महासभा के कमलेश तिवारी को गिरफ्तार कर लिया गया उसी तरह की बयानबाज़ी के लिए आज़म ख़ान छुट्टा घूम रहे हैं फिर भी इस पर कोई आवाज नहीं उठ रही।
1. इसका अव्वल कारण यह है कि कमलेश तिवारी हिन्दू हैं और हिन्दुस्तान का हल्ला-धरना-प्रदर्शन-कैंडल मार्च ब्रिगेड मूलतः हिन्दू विरोधी वामी-सेकुलर-लिबरल-इस्लामपरस्त -धर्मांतरण समर्थक लोगों से अँटा पड़ा है।
2. दूसरे ज्यादातर हिन्दू यह मानते हैं कि जो आज़म खान ने कहा वह गलत भले ही है, नया नहीं है। जो समुदाय सैकड़ों सालों से हिन्दुओं के बलात्कार, जबरन धर्मांतरण, 40 हजार मंदिरों के ध्वंस और नरसंहार के लिए जाना जाता हो उसका एक नेता आरएसएस को समलैंगिकों का संगठन कह गया तो कौन सा बड़ा अपराध हो गया?
3. हाँ , कमलेश तिवारी को आज़म खान के आरोप के जवाब में हिन्दू होकर भी पैगंबर साहेब को 'समलैंगिक' एकदम नहीं कहना चाहिए था क्योंकि यह एक अहिन्दू कार्य है।
4. हजार सालों की गुलामी से दब्बू बने हिन्दुओं को वोटबाज़ सेकुलर पार्टियों की मुस्लिम-तुष्टीकरण नीति ने मनोवैज्ञानिक-अल्पसंख्यक बनाकर छोड़ दिया है जिस कारण वे झूठ को झूठ और सच को सच कहना भूल से गए हैं।
5. अपने को सेकुलर साबित करने के चक्कर में एक औसत पढ़ा-लिखा हिन्दू वामपंथी-इस्लाम परस्त-इवांजेलिस्ट-लिबरल-सेकुलर गिरोहों की हर उल्टी-सीधी बात यहाँ तक की सीधे-सीधे कम्युनल माँगों को भी चुपचाप सही मान लेता है।
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लेकिन इंटरनेट-मोबाइल-सोशल मीडिया नामक बुलडोजर के चलते स्थिति बदल रही है । भारत बदल रहा है।मजबूरी में ही सही, हिन्दू अब अपने विरोधियों की नकल कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लग रहा है कि जो कश्मीर में हुआ वह कहीं भी हो सकता है।
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