बर्बर गिरोहबंद हमलावरों से निपटना हमें नहीं आया
बर्बर गिरोहबंद हमलावरों से निपटना हमें नहीं आया
पूरे गाँव या मोहल्ले को लूटने वाले चंद गिरोहबंद डकैत ही होते हैं।
करोड़ों की आबादी वाले इस समृद्ध देश को गुलाम बनानेवाले कुछ हजार #मजहबी नशे में चूर #गिरोहबंद #बर्बर #हमलावर थे या #मिशनरी भेस में #मक्कार #यूरोपीय #डाकू।
भारत के लोग उनसे ज्यादा बड़े #योद्धा थे, लेकिन बर्बर नहीं थे।इसलिए यह देश 1000 साल गुलाम रहा।
हजार साल की #दैहिक गुलामी ने इस देश को मानसिक रूप से भी गुलाम बना डाला।आज #जेएनयू में जो कुछ हो रहा है वह इस #मानसिक_गुलामी का लक्षण भर है।
पूरी दुनिया में एक ही समुदाय है जो #ईसाई और #इस्लामी बर्बरता का शिकार हो दो हजार सालों तक बेघर भटकता रहा लेकिन जो मानसिक गुलामी का शिकार नहीं हुआ।वह समुदाय है #यहूदियों का जिन्होंने दूसरे #विश्वयुद्ध के बाद #इस्राइल नामक देश का गठन किया और कम आबादी वाला देश होने के बावजूद बर्बर हमलावर पड़ोसी इस्लामी देशों के सामने चट्टान की तरह अडिग हैं।
यह #भारतीय_आभिजात्य की मानसिक गुलामी ही है कि स्थानीय #मुसलमानों और #कम्युनिस्टों के विरोध तथा #वोटबैंक के चलते भारत लंबे समय तक इस्राइल से सामान्य #राजनयिक संबंध नहीं बना पाया।
यह बात अलग है कि आज #आईएसआईएस से निबटने में सबसे कारगर अगर कोई देश है तो वह है इस्राइल।
अगर आईएसआईएस मजहबी हमलावर बर्बरता का सबसे निकृष्ट उदाहरण है तो इस्राइल कारगर #सुरक्षात्मक_बर्बरता का।अब यह भारत के राष्ट्रीय कर्णधारों को तय करना है कि वे इस्राइल से कितना और कैसे लाभ उठाते हैं।
#PMO #HMO #NSA #AjitDobhal
पूरे गाँव या मोहल्ले को लूटने वाले चंद गिरोहबंद डकैत ही होते हैं।
करोड़ों की आबादी वाले इस समृद्ध देश को गुलाम बनानेवाले कुछ हजार #मजहबी नशे में चूर #गिरोहबंद #बर्बर #हमलावर थे या #मिशनरी भेस में #मक्कार #यूरोपीय #डाकू।
भारत के लोग उनसे ज्यादा बड़े #योद्धा थे, लेकिन बर्बर नहीं थे।इसलिए यह देश 1000 साल गुलाम रहा।
हजार साल की #दैहिक गुलामी ने इस देश को मानसिक रूप से भी गुलाम बना डाला।आज #जेएनयू में जो कुछ हो रहा है वह इस #मानसिक_गुलामी का लक्षण भर है।
पूरी दुनिया में एक ही समुदाय है जो #ईसाई और #इस्लामी बर्बरता का शिकार हो दो हजार सालों तक बेघर भटकता रहा लेकिन जो मानसिक गुलामी का शिकार नहीं हुआ।वह समुदाय है #यहूदियों का जिन्होंने दूसरे #विश्वयुद्ध के बाद #इस्राइल नामक देश का गठन किया और कम आबादी वाला देश होने के बावजूद बर्बर हमलावर पड़ोसी इस्लामी देशों के सामने चट्टान की तरह अडिग हैं।
यह #भारतीय_आभिजात्य की मानसिक गुलामी ही है कि स्थानीय #मुसलमानों और #कम्युनिस्टों के विरोध तथा #वोटबैंक के चलते भारत लंबे समय तक इस्राइल से सामान्य #राजनयिक संबंध नहीं बना पाया।
यह बात अलग है कि आज #आईएसआईएस से निबटने में सबसे कारगर अगर कोई देश है तो वह है इस्राइल।
अगर आईएसआईएस मजहबी हमलावर बर्बरता का सबसे निकृष्ट उदाहरण है तो इस्राइल कारगर #सुरक्षात्मक_बर्बरता का।अब यह भारत के राष्ट्रीय कर्णधारों को तय करना है कि वे इस्राइल से कितना और कैसे लाभ उठाते हैं।
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