Thursday, August 25, 2016

लाल किले से मोदी का भाषण-2016

लाल किले से मोदी का भाषण-2016

दृश्य-I
कल्पना करिये कि इस भाषण पर एक ऐसे भाषा-मनोवैज्ञानिक को अपनी राय देनी हो जो न इस देश का हो और न उसका मोदी से कुछ लेनादेना हो तो वह क्या कहेगा?

■ एक थके हुए व्यक्ति का तोतारटंत
■ इंसान जैसे दिखते रोबॉट का भाषण
■ भावविहीन दावों की झड़ी
■ बौद्धिक कायरता की मिसाल
■ अपने मन की न कह पानेवाला वक्ता

दृश्य-II

अगर उस भाषा-मनोवैज्ञानिक को मोदी के पिछले तीन सालों के भाषणों के टेप थमा दिये जाए और कहा जाए कि अब वह 2016 वाले भाषण पर अपनी राय दे तो वह क्या कहेगा?

■ असली भाषणकर्ता के सिर्फ़ शरीर की क्लोनिंग है  2016 का भाषणकर्ता; दोनों के मन में कोई तुलना नहीं।

दृश्य-III

■ लन्दन स्थित भारतीय उच्चायोग में जश्ने आज़ादी। जश्न के पहले उच्चायुक्त का सम्बोधन जिसका लब्बोलुआब यह है कि भारत आर्थिक समृद्धि की राह पर चल पड़ा है। वह दिन दूर नहीं जब वह इंग्लैंड और अमेरिका से हमक़दम होगा।

■■ नोट: इसी दौरान उच्चायुक्त के शॉफर के मन में एक सवाल कौंधा, 'भारत क्या कभी भारत नहीं होगा? ग़ुलामी से पहले तो पूरे यूरोप और अमेरिका की इकट्ठी आर्थिक हैसियत भी भारत के बराबर नहीं थी फिर भी यह देश ग़ुलाम क्यों हो गया'?

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