Thursday, August 25, 2016

मैकॉले भगवान और इंग्लिश देवी माई!

दलित इतिहास में आज़ादी की लड़ाई
मैकॉले भगवान और इंग्लिश देवी माई ।

दलित चिंतक कहते हैं कि आज़ादी की लड़ाई इसलिये लड़ी गई कि अंग्रेज़ जातिप्रथा के खिलाफ थे और ऊँची जाति के लोग जातिप्रथा के पक्षधर। यानी आज़ादी की लड़ाई में क़ुर्बान होनेवाले या तो ऊँची जातिवाले लोग थे या पिछड़ी और दलित जातियों के बेवक़ूफ़ लोग!

यह नया इतिहास चर्चपोषित भी है। अतिवामपंथी इसे सही मानते हैं। इस्लामवादी इसे सही मानते हैं। ऐसा इतिहास पढ़ने-पढ़ाने के लिए इंग्लैंड और अमेरिका के विश्वविद्यालय आपका तहेदिल से ख़ैर मक़दम करते हैं।

जेएनयू जैसी जगहों पर इस इतिहास की दूकानें सजती हैं।इसकी प्रायोगिक परीक्षा भी होती है जिसमें पास होने के लिए कैम्पस और बाहर हो रहे धरना-प्रदर्शनों के चुनिंदा नारों पर बुलन्द आवाज़ में मचलना पड़ता है:
भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाल्लाह इंशाल्लाह...
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कश्मीर माँगे आज़ादी बंगाल माँगे आज़ादी...
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भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी जंग रहेगी...

इसीलिए दलित चिंतकों ने इंग्लैंड और अमेरिका के चर्चों की मदद से 'मेकॉले भगवान' और 'अंग्रेज़ी देवी' की मूर्तियाँ स्थापित करने की मुहिम चलाई है।
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आप इन वंचितों-सताये हुओं का साथ नहीं देंगे?
आपको तो अनुभव है नेताजी को जितेजी मारकर नेहरू जी के साथ आज़ादी का जश्न मनाने का...
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गाँधी और गाँधीवाद की हत्या कर काँग्रेस को एक परिवार की पार्टी बनवा देने का...
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दंगों  और बलात्कार को भी सेकुलर और कम्युनल में विभाजित करने का...

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