Thursday, August 25, 2016

ईमान पहले मुल्क बाद में, है न यही बात सलमान साहेब?

हिन्दुस्तान जैसे काफ़िर मुल्क का प्रधानमंत्री एक इस्लामी मुल्क के खिलाफ काम करे, यह सलमान ख़ुर्शीद के लिए नाकाबिले बर्दाश्त है...ईमान पहले मुल्क बाद में, है न यही बात सलमान साहेब?

स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से प्रधानमंत्री मोदी ने देश की आक्रामक बलुचिस्तान नीति का ऐलान क्या किया कि सेकुलर काँग्रेस के सलमान ख़ुर्शीद के पेट में मरोड़ उठ गई। सवाल है कि एक काफ़िर मुल्क के काफ़िर वज़ीरेआज़म की ऐसी बलुचिस्तान नीति का मुसलमान सलमान ख़ुर्शीद विरोध नहीं तो और क्या करेंगे?

असल में सलमान ख़ुर्शीद ने वही कहा है जो भारत का एक औसत पढ़ालिखा मुसलमान चाहता है। वे एक मुसलमान पहले हैं और भारतीय बाद में। बुरहान वानी के अब्बा हुज़ूर को भी इस बात की ख़ुशी हुई थी कि उनकी औलाद अल्लाह और इस्लाम की राह पर क़ुर्बान हुई।और इस्लाम का फ़रमान है:

जिहाद फ़ी सबीलिल्लाह;
क़त्ताल फ़ी सबीलिल्लाह; और
काफ़िर वाजिबुल क़त्ल।
*
माने अल्लाह की राह में जिहाद फ़र्ज़ है; अल्लाह की राह में क़त्ल फ़र्ज़ है; और काफ़िरों का क़त्ल वाजिब है।

इसे समझने के लिए सारे "जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ" तराना लिखनेवाले अल्लामा इक़बाल के उस ईमानदार संकल्प पर नज़र डालना ज़रूरी है जो उन्होंने मरने के पूर्व लिया था:

हो जाए ग़र शाहे ख़ुरासान का इशारा
सज्दा न करूँ हिन्द की नापाक ज़मीं पर।

असल में भारत काफ़िरों का देश है जबकि पाकिस्तान में शरीया लागू है।इसलिये जबतक भारत को पाकिस्तान न बना दिया जाये तबतक बलुचिस्तान को तो पाकिस्तान के साथ रहने देना ही इस्लाम के हिसाब से सही है। और जो हिंदुस्तानी पार्टी इस पर अमल करेगी उसको ही मोसल्लम ईमानवालों का वोट मिलेगा। अगले साल यूपी में चुनाव भी हैं फिर ख़ुर्शीद साहेब ऐसा स्वर्ण मौका हाथ से कैसे जाने देते!

1977 तक इसी सेकुलर काँग्रेस की इन्दिरा गाँधी की बलुचिस्तान नीति मोदी की नीति से कहीं ज़्यादा आक्रामक और प्रभावी थी।फ़िर जनता पार्टी के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई और विदेशमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने दुश्मन से निशाने पाकिस्तान पुरस्कार लेने के चक्कर में बलुचिस्तान में भारतीय खुफियातंत्र को नेस्तनाबूद करवा दिया।इसके बदले में पाकिस्तान ने 'ख़ालिस्तान 1980-85 और 'कश्मीर 1990' की सौग़ात दी।

नोट: आज सलमान ख़ुर्शीद इटली वाली सोनिया गाँधी की सेकुलर काँग्रेस के मुसलमान हैं और तब की काँग्रेस संगम-प्रयाग वाली इन्दिरा गाँधी के हाथ में थी।

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home