ग़रीबों की परेशानियों के हवाले से नोटबंदी का विरोध करनेवाले
ग़रीबों की परेशानियों के हवाले से नोटबंदी का विरोध करनेवाले उन लोगों की मानस संतानें हैं जो आज़ादी की लड़ाई का भी यह कहकर विरोध करते थे कि इसमें हज़ारों जानें गईं, अनगिनत जेल गये, लाखों के कैरियर बर्बाद हुए...
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बाद में उनमें से ज्यादातर लोग नेता, नौकरशाह और धन्धेबाज़ बन गए क्योंकि नेहरू को सत्ता सौंप अंग्रेज़ भारत छोड़कर इसलिये चले गये थे कि पण्डित जी से उनके बेहद अच्छे संबंध थे और नेताजी सुभाषचंद्र बोस से बेहद ख़राब।उधर गाँधी जी ने कांग्रेस को भंग करने की बात भी चला दी थी।
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फिर का...ँग्रेस को इसी कारण नेहरू जी की फैमिली पार्टी बना दिया गया और देश विकास के राजमार्ग पर चल पड़ा।
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लेकिन पिछले कुछ वर्षों से विकास अवरुद्ध है। इसलिए बहुत सारे नेता, पत्रकार, बुद्धिजीवी वगैरह पाकिस्तान और ऐसे ही अन्य मित्रदेशों की मदद से विकास के लिये माहौल बनाने में लगे हैं।ख़ुदा ख़ैर करे।
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बाद में उनमें से ज्यादातर लोग नेता, नौकरशाह और धन्धेबाज़ बन गए क्योंकि नेहरू को सत्ता सौंप अंग्रेज़ भारत छोड़कर इसलिये चले गये थे कि पण्डित जी से उनके बेहद अच्छे संबंध थे और नेताजी सुभाषचंद्र बोस से बेहद ख़राब।उधर गाँधी जी ने कांग्रेस को भंग करने की बात भी चला दी थी।
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फिर का...ँग्रेस को इसी कारण नेहरू जी की फैमिली पार्टी बना दिया गया और देश विकास के राजमार्ग पर चल पड़ा।
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लेकिन पिछले कुछ वर्षों से विकास अवरुद्ध है। इसलिए बहुत सारे नेता, पत्रकार, बुद्धिजीवी वगैरह पाकिस्तान और ऐसे ही अन्य मित्रदेशों की मदद से विकास के लिये माहौल बनाने में लगे हैं।ख़ुदा ख़ैर करे।
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