क्या इस छवि को बदला नहीं जा सकता?
आज जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों को लोग जयचंद और मीरज़ाफ़र के रूप में देख रहे हैं। जब से वहाँ 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' का नारा लगानेवालों का पर्दाफाश हुआ तब से पूरे देश में जेएनयू की छवि एक देशतोड़क अड्डे की बन गई है।
क्या इस छवि को बदला नहीं जा सकता?
कौन और कब करेगा?
क्या छात्रसंघ चुनाव एक ऐसा ही मौका नहीं है?
8।9
क्या इस छवि को बदला नहीं जा सकता?
कौन और कब करेगा?
क्या छात्रसंघ चुनाव एक ऐसा ही मौका नहीं है?
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