Thursday, December 22, 2016

जेहादी-वामपंथी-चर्च-अमेरिकी गठजोड़ पर दस सालों के अंदर शोकगीत लिखा जाएगा

जेहादी-वामपंथी-चर्च-अमेरिकी गठजोड़ पर दस सालों के अंदर शोकगीत लिखा जाएगा

वामपंथियों को जो मदद पहले सोवियत संघ से मिलती थी वह अब अमेरिकी और पाकिस्तानी संगठनों तथा चर्च से मिलती है। पता करिये आईएसआई एजेंट फ़ई ने कितने वामियों की अमेरिका में मेहमाननवाज़ी की है? CPI के चेनॉय को तो एकाधिक बार। कन्हैया बाबू भी इन्हीं की पार्टी के हैं।यही हाल माओवादियों और नक्सलियों का है।

कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश का कोई भी मुद्दा ले लीजिये, जेहादी और वामी आपको एक ही पायदान पर खड़े मिलेंगे। यहाँ के वामपंथी या तो जंगली इलाक़ों में अपहरण- फ़िरौती के कारोबार में लगे हैं या केरल-त्रिपुरा-जेएनयू में उनके साथ चट्टान की तरह खड़े हैं जिनका नारा है:
भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाल्लाह इंशाल्लाह।

वैसे एक दशक के भीतर भारत के लोग वामपंथियों का मर्सिया (शोकगीत) भी लिखेंगे।
सो कैसे?
चीन और भारत ज़्यादातर मुद्दों पर आमने-सामने होंगे।चीन की पाकिस्तान से गहरी दोस्ती है। भारत के अधिकांश वामपंथी चीनपरस्त हैं। इसलिये अवाम की निगाह में इन वामपंथियों की पोल खुलती रहेगी। उधर वामियों को मिलनेवाली अमेरिकी सहायता भी धीरे-धीरे घटेगी क्योंकि भारत पर अमेरिकी दाँव चीन-पाकिस्तान से कहीं ज़्यादा होगा।

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9।9।16

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