Thursday, December 8, 2016

भारतबंद: सेकुलरदास-संता संवाद

भारतबंद: सेकुलरदास-संता संवाद
सेकुलरदास : भारत बंद का विरोध लोकतंत्र को कमज़ोर करेगा।
संता: बंद के समर्थन से अगर लोकतंत्र मजबूत होता है तो इसके विरोध से कैसे कमज़ोर हो गया क्योंकि विरोध और समर्थन तो एक ही सिक्के (लोकतंत्र) के दो पहलू हैं?
सेकुलरदास: गाँधीजी ने भी भारतबंद का सहारा लिया था।
संता: लेकिन वे तो आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे थे।
सेकुलरदास: ये भारतबंद भी तो देश की आर्थिक आज़ादी के लिए है।
संता: लेकिन बंद से तो आर्थिक कामकाज ठप हो जाते हैं?
सेकुलरदास: नोटबंदी से भी तो धंधा मंदा हो गया है?
संता: यानी भूखे को और भूखा रखा जाए?
सेकुलरदास: जैसे विष का ईलाज विष है वैसे ही नोटबंदी का जवाब भारतबंद।
संता: ऐसे हालात में महात्मा गाँधी क्या करते?
सेकुलरदास: वे भी बनिया थे, मोदी भी बनिया है और बंद से बनियों को ही घाटा होता, इसलिए वे बंद के आह्वान को वापस ले लेते।
संता: क्या अंग्रेज़ों के साथ भी वे ऐसा करते थे?
सेकुलरदास: अनेकों बार।
संता: फिर अंग्रेज़ यहाँ से क्यों चले गये?
सेकुलरदास: पण्डित नेहरू से अच्छे संबंधों के कारण।
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28/11/16

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