Thursday, October 22, 2015

मुसलमानों के नाम एक हिन्दू का बधाई-पत्र

भाई साहेबान,
आदाब अर्ज़ । आगे का हवाल ये है कि
#पाकिस्तान की कोई एक #फौजिया_सईद कहती हैं कि आपके यानी #मुसलमानों के पूर्वज भी #हिन्दू थे? ऐसा गंभीर आरोप उन्होंने ने आप पर कैसे लगा दिया?

वे तो यहाँ तक कहती हैं कि #हिन्दुस्तान पर मुसलमानों ने राज नहीं किया बल्कि बर्बर #तुर्कों, #अफगानों, #मुगलों #ईरानियों ने राज किया।मुसलमान तो गुलाम थे या अवाम जिनके हिन्दू पूर्वजों को जबरिया कलमा पढ़ाया गया, ओरतों को #सेक्स_स्लेव बनाया गया, उन्हें जीते-जी मार दिया गया।
तो ऐसे #ज़िन्दा_लाशों की औलादें #गुलाम या #अवाम तो हो सकती हैं या #शहंशाह या #निज़ाम?
फिर ये #अशरफ, #अजलफ और #अरज़ल मुसलमान क्या होते हैं? कोई #जात_पाँत टाइप चीज़ तो नहीं है ये? तौबा तौबा, यहाँ भी ये सब?

आपमें से जिनका मजहब #सेकुलरिज़म या #कम्युनिज़म है वे लोग अपना संबंध सिर्फ #बंदरों से जोड़ते।
यानी या तो बंदर या फिर सीधे सेकुलर-कम्युनिस्ट-#लिबरल, और नहीं तो क्या?

वैसे जितना संबंध आपका बंदरों से है उतना तो हमारा भी है 70 सजार बरस पहले का लेकिन जो कुछ बीच में हुआ उसे #ईसाई या  मुसलमान नही होने और कम्युनिस्ट नहीं रह पाने के कारण हम भूला नहीं पाते ।

पाकिस्तान का सेकुलर इतिहास आपको पता होगा और #यूरोप- #अमेरिका का ईसाइयों के आने के पहले का इतिहास भी पता होगा ।
फिर #रूस- #चीन में #क्रांतिकारी सरकारों ने जितने प्रेम से #जनहित में करोड़ों जनता को #मौत_के_घाट उतारा, ये आपको पता है लेकिन आप इस पर बोलेंगे नहीं ।

बात रही  ' #वर्णव्यवस्था ' जनित वास्तविक #भेदभाव की तो #आजाद_भारत के #संविधान ने उसको समाप्त कर दिया है और #गैरकानूनी करार दे दिया है ।

लेकिन #मुसलमान_औरतों_के_अधिकारों को लेकर आपकी जुबान कभी खुली?
#समान_नागरिक_संहिता पर आपका ख्याल क्या है?
#शाहबानो केस में #कट्टरपंथी बहुमत #मुसलमानों को लेकर कुछ आपने उवाचा?
नहीं न?
आपकी हिम्मत जवाब दे जाती है  '#मुहम्मद_साहब' के #कार्टून पर लेकिन '#सरस्वती' निर्वस्त्र किये बिना आपकी #सर्जनात्मक_स्वतंत्रता का प्रण पूरा नहीं होता ।

इसीलिए हिन्दू भी अब 'मुसलमान' बन रहे हैं क्योंकि आपने उनकी #विनयशीलता का मतलब #कायरता निकाल लिया था ।
आपकी इस सपलता पर आपको बधाई!

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