Tuesday, April 30, 2019

2019 का चुनावी विपक्ष मूलतः हिन्दू विद्वेषी और भारत-विरोधी है

2019 का चुनावी-विपक्ष सेकुलर है, वामपंथी है, लिबरल है और हर उस देश, दल, समूह, विचारधारा, पंथ, रिलिजन और मजहब के साथ है जिसका उद्देश्य भारतीय धरोहर और हिंदुओं का अपमान है। यह तब है जब इस्लामी क़ानून के हिसाब से हिंदुओं को काफ़िर मानते हुये मुसलमानों ने 1947 में ही भारत से अलग पाकिस्तान बना लिया था। बावजूद इसके खंडित भारत में आज भी न जाने 'कितने पाकिस्तान' पल रहे हैं जिन्हें भव्य मंदिरों और देवी-देवताओं की मूर्तियों से बहुत डर लगता है! तभी तो पिछले 1000 हज़ार सालों में 40 हज़ार से ज़्यादा मंदिर तोड़ दिए गए, नालंदा विश्वविद्यालय समेत 32 शिक्षा-संस्थान 'बुलडोज़' कर दिए गए। बेचारे डरे हुए सेकुलर मुसलमान और ईसाई क्या करते! ईसाइयों की सेकुलरता की मिसालें गोवा के चप्पे-चप्पे में बिखरी पड़ी हैं। सेकुलरता में वे मुसलमानों के पूर्वज जो ठहरे।
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यही वजह है कि गोधरा नरसंहार सेकुलर है और गुजरात दंगे कम्युनल। 1984 का सिख नरसंहार सेकुलर है और मुज़फ्फरनगर दंगे कम्युनल। हज़ारों मंदिरों का ध्वंस सेकुलर है और चर्च-मस्जिदों पर खरोंच भी कम्युनल। राममंदिर तोड़कर उसपर बनाई बाबरी मस्जिद सेकुलर है जबकि बाबरी मस्जिद को ढहाना भारत के इतिहास का इतना बड़ावाला कम्युनल काण्ड है कि सुप्रीम कोर्ट भी इसपर फैसला नहीं कर पा रहा। वैसे ही जिहाद- नक्सलवाद-अलगाववाद सेकुलर है और राष्ट्रवाद कम्युनल।
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ईद-बक़रीद-क्रिसमस-ईस्टर सेकुलर है और होली-दिवाली-छठ-महावीर जयंती-गुरु पूर्णिमा कम्युनल। राम-कृष्ण-शिव कम्युनल हैं और ईसा मसीह-पैग़म्बर मोहम्मद सेकुलर। करोड़ों विरोधियों के नरसंहार को क्रांति के नाम पर अंजाम देनेवाले लेनिन-स्टालिन-माओ सेकुलर महानायक हैं लेकिन आत्मरक्षार्थ शस्त्र उठानेवाले सनातनी योद्धा (राणा प्रताप, गुरु तेगबहादुर, गुरु गोविन्दसिंह, शिवाजी) कम्युनल खलनायक। अंत में मुसलमानों का बहैसियत मुसलमान सिर्फ उस पार्टी को वोट देना जो भाजपा को हरा सके एक परम सेकुलर कर्म है लेकिन उनकी नक़ल पर जैसे ही हिन्दू बहैसियत हिन्दू भाजपा को वोट देने लगे वे भीषण कम्युनल हो गए।
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अगर विपक्षी एकता के केंद्र में हिंदू-द्वेष और भारत-विद्वेष नहीं होता तो नास्तिक माओवादी और अल्लावादी जिहादी क्यों हाथ मिलाते? सैकड़ों साल क्रूसेड लड़नेवाले कैथोलिक ईसाई और मोहम्मदवादी क्यों हाथ मिलाते?
कश्मीरी अलगाववादियों का नारा है:

आज़ादी से नाता क्या? लाइलाही इलिल्लाह...
पाकिस्तान से नाता क्या? लाइलाही इलिल्लाह...
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जेएनयू के वामीस्लामियों का नारा है:
भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाल्लाह इंशाल्लाह...
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क्या कभी उन्हें यह भी कहते सुना:
दहशतगर्दी हो बर्बाद इंशाल्लाह इंशाल्लाह...
जिहादियों तेरे टुकड़े होंगे इंशाल्लाह इंशाल्लाह...
जिहाद होगा नेस्तनाबूद इंशाल्लाह इंशाल्लाह... ?
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अफगानिस्तान और पाकिस्तान भी जिहाद से ही बने थे...हिंदुओं के खिलाफ जो स्पेशल जिहाद गढ़ा गया उसे जिसे ग़ज़वा-ए-हिन्द कहा जाता है। वैसे भारत पर पहला जिहादी हमला पैग़म्बर मोहम्मद की मृत्यु के चार साल बाद ही 636 ईस्वी में गुजरात में हुआ था।
आजकल पाकिस्तान का ताजा नारा है:

हँस के लिया है पाकिस्तान लड़ के लेंगे हिन्दुस्तान...

और लेटेस्ट सेकुलर-वामी-इस्लामी-इवांजेलिस्ट नारा है:
भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी जंग रहेगी...
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हिन्दुस्तान का सेकुलरबाज़ विपक्ष इन सभी नारेबाज़ों के साथ है। उसका कहना है कि इन लोगों के साथ अन्याय हुआ। अगर ऐसा है तो भारत की सत्ता लगभग 60 साल आज के विपक्षी दलों के हाथ में थी, फिर इस अन्याय का जिम्मेदार कौन?
दूसरी बात, अगर अन्याय ही कारण है तो जिहादियों के हाथों अपहरण, लूट, हत्या और नरसंहार द्वारा जातिनाश के शिकार लाखों कश्मीरी हिंदुओं में से कितने आतंकवादी या अलगाववादी  निकले ? और फिर उनके नारे क्या हैं? पंजाब में भी पाकिस्तान समर्थित ख़लिस्तानी आंदोलन चला लेकिन अब मृतप्राय है। लेकिन यही बात कश्मीर पर क्यों लागू नहीं होती? क्या इसलिए कि कश्मीर मुस्लिम बहुल है जबकि पंजाब सिख बहुल?
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पढ़िये कोलकाता शहर के दमदम में लगे एक चुनावी पोस्टर में लिखी अपील:
"हिंदुओं को भगाकर पश्चिम बंगाल को सम्पूर्ण मुस्लिम(इस्लामी) राज्य बनाने के लिए इस चिह्न को वोट दें।" ( तृणमूल के एक पोस्टर का बांग्ला से हिंदी अनुवाद)
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इस प्रकार 2019 के आम चुनाव का असली मुद्दा है:
आतंकवाद बनाम राष्ट्रवाद।

जिहाद और आतंकवाद के साथ विपक्ष खड़ा है और उसका सीधा विरोध है राष्ट्रवाद के प्रतीक मोदी से। ख़बर है कि मक्का की मस्जिद में केरल/ तमिलनाडु के मुसलमानों ने मोदी के हारने की दुआ की। जिहादियों और आतंकियों के अनेक रूप हैं, इसलिए भले ही उनका कोई प्रतिनिधि चेहरा नहीं है लेकिन वे भारत-द्वेषी ताक़तों का एक देशव्यापी गठजोड़ हैं जिनकी वैचारिकी और फंडिंग विदेशी है।
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यहाँ यह कहना जरूरी है कि असल में भारत-द्वेषी और हिन्दू-विद्वेषी इस गठजोड़ के खिलाफ संग्राम में मोदी के साथ न भाजपा है और न ही नौकरशाही-अदालत-मीडिया और शिक्षातंत्र। मोदी को तो सदियों की सताई आत्माओं का आशीर्वाद प्राप्त है। बस।
©चन्द्रकान्त प्रसाद सिंह

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