Friday, April 26, 2019

करोड़ों के हत्यारे माओ-स्टालिन बनाम आत्मरक्षार्थ हथियार उठानेवाले ब्रह्मेश्वर मुखिया

करोड़ो के नरसंहार के लेखक माओ-स्टालिन अगर कम्युनिस्टों के महानायक हो सकते हैं तो आत्मरक्षार्थ हथियार उठानेवाले ब्रह्मेश्वर मुखिया किसानों के मसीहा क्यों नहीं?

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समाजवादी सोवियत संघ के लेनिन-स्टालिन नायक हैं क्योंकि उन्होंने दो करोड़ लोगों को भवसागर पार करवाया।
इसी अनुभव का लाभ उठाते हुए 25 बरस बाद साम्यवादी चीन के चेयरमैन माओ ने चार करोड़ का आँकड़ा पार कर लिया और वे क्रान्ति के महानायक हो गए।
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फ़िर अपनी ज़मीन और जान को बचाने के लिये आत्मरक्षा में हथियार उठानेवाले किसान नेता ब्रह्मेश्वर 'मुखिया' बिहार के कसाई कैसे हो गए?
क्या उन्हें इस बात के लिए देश का सर्वोच्च सम्मान नहीं दिया जाना चाहिए कि लालू यादव के राज में जब पुलिस और प्रशासन संविधान के अनुसार किसानों के जानमाल की सुरक्षा करने में असमर्थ था तब मुखिया जी ने लोगों को आत्मरक्षार्थ संगठित किया और उन्हें माओवादी नरसंहार से बचाया?

पोंगापंथियों ने 450 सालों तक कबीर को कवि नहीं माना तो क्या इस दौरान वे कवि नहीं थे?
शिवाजी और गुरु गोविन्दसिंह को ईसाई मिशनरी तथा सेकुलर-वामपंथियों ने ठग और लुटेरा कहा तो क्या पिछले 150 सालों तक वे हमारे योद्धा  नहीं रहे?

मानसिंह ने अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली तो क्या महाराणा प्रताप हमारे प्रेरक और नायक नहीं रहे? पता करिये कितने लोगों ने अंग्रेज़ों के खिलाफ आज़ादी की लड़ाई में अकबर और मानसिंह से प्रेरणा ली थी?

सफलता ही अगर पैमाना है तो क्यों न जयचंदों और मीर ज़ाफ़रों को राष्ट्रीय नायक घोषित कर दिया जाए? तिलक- गाँधी-अरविन्द -भगत सिंह-नेताजी को कूड़ेदान में डाल सिर्फ़ नेहरू को देश का पहला और अंतिम भाग्यविधाता घोषित किया जाए?
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और तो और, जीवन भर भींगी रही कौशल्या नंदन दशरथपुत्र राजा रामचंद्र की  आँखें...आज भी वे अपने जन्मस्थान-मंदिर के लिए उस कोर्ट में हाथ जोड़े खड़े हैं जहाँ रामनवमी पर अवकाश होता है...तो क्या उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम न मानें? भारतवर्षीय सभ्यता के महानायक के रूप में न स्वीकारें? रामजन्मस्थान मंदिर को तोड़वाने वाले बाबर और मीरबाकी को उनकी जगह बिठा दें? वैसे ही महादेव और कृष्ण की जगह बर्बर औरंगज़ेब को अपना लें क्योंकि उसने काशी के शिवमंदिर और मथुरा के कृष्णमंदिर ढहाने के आदेश दिये थे?

नोट: धन्यवाद! आप ज्ञान के बोझ से दबे मानसिक
दलित नहीं हैं तभी आप इस प्रलाप पर ध्यान दे पाये।
©चन्द्रकान्त प्रसाद सिंह
(मूल पोस्ट 10.8.2016 को लिखी गई, तस्वीर 1.7.2018-- की है। शीर्षक जोड़ा गया है।)
#BrahmeshwarMukhiya #Mao #Stalin #Gurugobindsingh #Shivaji #RanaPratap

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