Saturday, May 11, 2019

भारत विभाजन का ठीकरा अब मोदी पर भी!

भारत विभाजन का ठीकरा अब मोदी पर भी! इसके पहले यह सावरकर, गाँधी, नेहरू और पटेल पर फोड़ा जा चुका है।
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https://mअमेरिकी पत्रिका #TIME की मोदी पर ताज़ा कवर स्टोरी की मानस-पृष्ठभूमि 1945-47 की है जब इंग्लैंड, अमेरिका और रूस की शह पर भारत का विभाजन मोहम्मद अली जिन्ना ने किया था। तरीक़ा था: 1946 का डायरेक्ट एक्शन या इस्लामी जिहाद।
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जिन्ना के समर्थक हिन्दुस्तान में ही रह गए ताकि इसका और विभाजन करके जितने चाहें उतने 'मिनी पाकिस्तान' बना सकें और इसका दोष हिंदुओं के सर मढ़ते रहें। इसके लिए सावरकर की कौन कहे, उन्होंने गाँधी, नेहरू और पटेल को भी नहीं बख़्शा। इसकी जाँच के लिए सिर्फ यह पता कीजिये कि 1916 से 1947 के बीच कितने मुसलमान नेता आज़ादी की लड़ाई के लिए जेल गये या पुलिस की लाठियाँ खाईं। ख़ान अब्दुल गफ़्फ़ार ख़ान और अशफ़ाक़ुल्ला ख़ान जैसों को छोड़ कोई बड़ा नाम ध्यान में नहीं आता।
मौलाना आज़ाद जैसे लोग हिन्दुस्तान में ही मिनी पाकिस्तान के पक्षधर थे। यक़ीन न हो तो 1919-21 के ख़िलाफ़त आन्दोलन की उनकी तकरीरें पढ़ लीजिये।
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वैसे तुर्की के ख़लीफ़ा के कौल पर भारत के लाखों मुसलमान तुर्की में ख़लीफ़ा की पुनर्बहाली के लिए भारत से लेकर तुर्की तक जिहाद के लिए मरने-मारने को तैयार थे। इसे ही ख़िलाफ़त आन्दोलन कहते हैं जिसका अंत हिन्दुओं के बलात्कार, नरसंहार और जबरिया धर्मान्तरण में हुआ। इसके प्रमाण हैं केरल के मोपला दंगे और नरसंहार जिनकी ओर से गाँधी ने आँखे फ़ेर ली थीं क्योंकि वे आज़ादी की लड़ाई में मुसलमानों का सहयोग चाहते थे।
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इतिहासकार हमें समझाते रहे कि ख़िलाफ़त आन्दोलन अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ और भारत की आज़ादी के लिए था। यह आन्दोलन उसी हद तक अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ था जिस हद तक इसमें भारत को फिर से इस्लामी राज बनाना संभव था। 1880 की सय्यद अहमद ख़ान की तकरीरें पढ़ लीजिये जिनमें वे साफ़ कहते हैं कि हमें या तो हिन्दुस्तान में इस्लामी राज के लिए लड़ना है या फिर अंग्रेज़ों की सहायता से अपना अलग मुल्क बनाना है। सय्यद अहमद ख़ान को ऐसे ही "सर" की उपाधि नहीं मिली थी। इसी तरह "सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्ताँ हमारा" लिखनेवाले मोहम्मद इक़बाल को भी "सर" की उपाधि मिली थी क्योंकि "सड़जी" ने यह भी कहा था कि:
हो जाए ग़र शाहे ख़ुरासान का इशारा
सज़दा न करूँ हिंद की नापाक ज़मीं पर।
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बहरहाल भारत के विभाजन का ठीकरा सावरकर, गाँधी, नेहरू और पटेल जैसे 'हिंदुओं' के सर फोड़ने में फ़ेल होने के बाद भारत-विरोधी टुकड़े-टुकड़े गिरोह ने नावजागृत हिन्दुस्तान के हृदय-सम्राट नरेंद्र मोदी को अपना निशाना बनाया है। उनको "मुख्य विभाजनकारी" कहकर वे न जाने "कितने मिनी पाकिस्तानों" की अपनी साज़िशों पर पर्दा डालना चाहते हैं। इसी चाहत को अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति दिलाने की कोशिश में है अमेरिकी पत्रिका TIME की कवर स्टोरी जिसने मोदी को #DIVIDER_IN_CHIEF कहकर संबोधित किया है। यह अकारण नहीं है कि इसके लेखक---आतिश तासीर---एक सेकुलर-लिबरल मुसलमान हैं जिनके पिता पाकिस्तान के पंजाब सूबे के गवर्नर थे। नाम था सलमान तासीर। वैसे इनकी माँ हिन्दू हैं। सनद रहे कि शाहजहाँ भी एक हिन्दू की कोख़ से पैदा हुआ था लेकिन कहते हैं कि उसने औरंगज़ेब से भी ज़्यादा मंदिर तोड़े थे। वैसे भी इस्लाम में तो औरतें महज 'खेती' भर हैं और वह औरत काफ़िर हुई तो ऐसी खेती को ऐसी तैसी, और नहीं तो क्या!
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जहाँ तक अमेरिकी मीडिया की विश्वसनीयता का मामला है तो वहीं की Newsweek पत्रिका ने चुनाव परिणाम घोषित होने से पहले ही राष्ट्रवादी डोनाल्ड ट्रम्प की प्रतिद्वंद्वी लिबरल हिलेरी क्लिंटन को अमेरिका का नवनिर्वाचित राष्ट्रपति घोषित करते हुए उनपर कवर स्टोरी कर दी थी। इसी तरह इराक़ पर अमेरिकी हमले के पहले इराक़ में #WMD (जनसंहारक हथियार) होने की पुष्टि कर दी थी। कबीर ने ऐसे ही नहीं कहा था:
माया महा ठगनी हम जानी।
वैसे अकबर इलाहाबादी ने भी 100 साल पहले एक कुँजी दी थी जिससे भारत का विभाजन करनेवालों के दिमाग़ का ताला फटाक से खुल जाता है:
पेट मसरूफ़ है क्लर्की में
दिल है ईरान और टर्की में।
लेकिन अपन तो उस बात पर ज्यादा विश्वास करते हैं जो ख़ुद क़ायदे आज़म मोहम्मद अली जिन्ना साहेब ने कही थी:
भारत में उसी दिन पाकिस्तान की नींव पड़ गई थी जिस दिन यहाँ पहला मुसलमान बनाया गया था।
इसी को काले अंग्रेज़ कहते हैं FROM THE HORSE'S MOUTH.
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चूँकि काले अंग्रेज़ों को भारत की भाषाएँ #VERNACULAR (अविकसित) लगती हैं, इसलिए उन्हें भारत के DIVIDER-IN-CHIEF का नाम और पता जानने के लिए 1940 की लिखी डॉ अम्बेडकर की किताब #THOUGHTS_ON_PAKISTAN पढ़नी चाहिए। फिर भी विश्वास न हो तो 'अपना हाथ जगन्नाथ', बौद्धिक *ठ मारते रहिये। ऐसे लोग #IED (#IntellectualErectileDysfunction) के शिकार होते हैं जिनका सही ईलाज पटना के गाँधी मैदान में सांडे का तेल बेचनेवाले तिवारी जी ही कर सकते हैं!

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