Thursday, May 16, 2019

साध्वी प्रज्ञा की अभिव्यक्ति की आज़ादी के बहाने

■ गोडसे को लेकर #साध्वी_प्रज्ञा ठाकुर के बयान पर उँगली उठानेवाले पहले पैग़म्बरे इस्लाम को ख़ारिज करें क्योंकि #पैग़म्बर की राह पर चलकर 27 करोड़ से अधिक लोगों का #नरसंहार और न जाने कितनों का #बलात्कार और जबरिया #धर्मान्तरण हुआ है।
■ गोडसे को लेकर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के बयान पर उँगली उठानेवाले पहले #लेनिन- #स्टालिन- #माओ-पोलपोट-कास्त्रो जैसों को ख़ारिज करें जिनके खाते में 100 सालों के अंदर 10 करोड़ से अधिक लोगों के नरसंहार हैं।
■ #गोडसे को लेकर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के बयान पर उँगली उठानेवाले  #गाँधीवादी #मुसलमान पहले अपने उस घृणाशास्त्र #क़ुरान को ख़ारिज करें जो #काफ़िर, #जिहाद और दारुलहरब जैसी बर्बर अवधारणाओं का उत्स है।
■ गोडसे को लेकर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के बयान पर उँगली उठानेवाले पहले #गाँधी को ख़ारिज करें जिन पर विश्वास कर 30 लाख से अधिक #हिंदू और #सिख जिहादियों द्वारा मार दिए गए और करोड़ों लोग जबरिया धर्मान्तरण तथा बलात्कार की भेंट चढ़ गए।
● जिन्हें संदेह हो वे 1919-21 के
#ख़िलाफ़त_आंदोलन के दौरान जिहादियों द्वारा भीषण हिन्दू उत्पीड़न पर गाँधी के रुख का अध्ययन कर लें।
● गाँधी के हिन्दू विरोधी #सत्य_अहिंसा से वाक़िफ़ #जिन्ना ने अगस्त 1946 में #पाकिस्तान के लिए डायरेक्ट एक्शन (जिहाद) का कौल दिया जिसके बाद #कोलकाता में हजारों हिन्दू गाजर-मूली की तरह काट डाले गए। ज़ाहिर है, गाँधी जी इस पर 'मौन-महात्मा' बने रहे।
● लेकिन #नोआखाली के #दंगों के बाद जब हिंदुओं ने प्रतिक्रिया-स्वरूप आत्मरक्षार्थ #हिंसा का रुख किया तो गाँधी ने #भूख_हड़ताल कर हिंदुओं का ब्लैकमेल करना शुरू किया।
● इसी तरह अक्टूबर 1947 में पाकिस्तानी हमले के बाद #पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने के लिए गाँधी ने 'भूख हड़ताल' का सहारा लिया।
● 'सत्य-अहिंसा' पर इतना ही भरोसा था तो गाँधी ने #भारत_विभाजन को रोकने के लिए क्यों नहीं इस 'ब्रह्मास्त्र' (भूख हड़ताल) का उपयोग किया?
■ अगर आप मोहम्मद, लेनिन, स्टालिन, माओ, पोलपोट, कास्त्रो, गाँधी जैसों को ख़ारिज नहीं कर सकते तो इनमें से एक --गाँधी--का वध करनेवाले गोडसे को देशभक्त कहनेवाली साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की हिम्मत, सत्यनिष्ठा और #अभिव्यक्ति_की_स्वतंत्रता का सम्मान करने की आदत डाल लीजिए।
■ हिंदुओं के लिये एक 'ज़िंदा लाश' हो चुके गाँधी को गोली मारकर गोडसे ने उन्हें ज़िंदा करने का जो अराष्ट्रीय कर्म किया, इसके लिए हम गोडसे की कड़ी निंदा करते हुये भी उन्हें गाँधी से बहुत बड़ा #राष्ट्रवादी, देशभक्त और सत्यनिष्ठ हुतात्मा मानते हैं।
■ नोट: हिन्दुओं ने कोटि-कोटि देवी-देवताओं के सृजन किये हैं। ईसाइयों और कसाइयों की तरह वे गॉड या अल्लाह के बनाये हुये नहीं हैं कि अन्धविश्वास-- BELIEF-- पर अपनी ज़िन्दगी क़ुर्बान कर दें। वे सवाल पूछते हैं-- ख़ुद से, दुनियाभर से और ईश्वर से भी ताकि भवसागर से 'मुक्ति' पा सकें। वे यह सब 72 हूरों और 28 कमसिन लौंडों वाली ज़न्नत के लिए नहीं करते। और हाँ, हिंदुओं के सवालों से उनके आराध्य राम-कृष्ण-शंकर-बुद्ध-महावीर कोई नहीं बचा फिर गाँधी क्या चीज़ हैं! बुद्धिपिशाच, अनपढ़, कुपढ़, नारेबाज़, आत्महीनता के शिकार नकलची बुद्धिविलासी और अक़्ल के अजीर्ण के शिकार मानसिक ग़ुलाम भी आमंत्रित हैं, just for a KitKat break you know! इस जमात ने गाँधी को भी ईसा-मोहम्मद-मार्क्स-स्टालिन-माओ की तरह पैग़म्बर बनाकर उन्हें सवालों से परे करने की साज़िश की है, 70 साल पुरानी साज़िश, जिसे मोबाइल-इंटरनेट-सोशल मीडिया पर सवार हिन्दू नवजागरण ने तार-तार करना शुरू कर दिया है।
©चन्द्रकान्त प्रसाद सिंह

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