गाँधी और गोडसे: तौबा-तौबा का मकाम है...
ईसा मसीह की राह पर 40 करोड़ से अधिक लोगों का नरसंहार हुआ और ईसा हो गए ईश्वरपुत्र। मोहम्मद की राह पर 27 करोड़ से अधिक का नरसंहार हुआ और मोहम्मद हो गए पैग़म्बर। मार्क्स की राह पर 10 करोड़ से अधिक का नरसंहार हुआ और मार्क्स हो गए नास्तिकों के पैग़म्बर। ऐसे ही लाखों के नरसंहार-बलात्कार और करोड़ों को जबरिया मुसलमान बनाये जाने के जिम्मेदार गाँधी जी हो गए 'राष्ट्रपिता' और 'महात्मा'। अब गाँधी का वध करनेवाले गोडसे की राह पर कितने करोड़ लोगों का नरसंहार हुआ? कुछ पता नहीं।...जिसकी राह पर नरसंहार नहीं हो, बलात्कार और अपहरण तक नहीं हो, वह भी कोई महानायक या पैग़म्बर का मटेरियल है! वह तो सिर्फ 'हिन्दू आतंकवादी' हो सकता है। तौबा-तौबा का मकाम है...
©चन्द्रकान्त प्रसाद सिंह
©चन्द्रकान्त प्रसाद सिंह
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