U&ME

Wednesday, December 4, 2019

गाँधी जी ने 'सत्य-अहिंसा' को जिहाद का स्टेटस बख्शा

'सत्य और अहिंसा' के राजनीतिक इस्तेमाल में गाँधी का कोई सानी नहीं। इसका पहला बड़ा उदारहण है खिलाफत आन्दोलन। मालाबार के मोपला मुसलमानों ने हजारों हिंदुओं का नरसंहार और बलात्कार किया, उन्हें जबरिया मुसलमान बनाया लेकिन इसे 'नरसंहार' या जातीय नाश  कहने के बजाये उन्होंने इसकी सारी 'दैवीय जिम्मेदारी' हिंदुओं पर डाल दी। बाद में सच्चे गांधीवादियों और कम्युनिस्टों  ने उसे 'मोपला विद्रोह' का नाम दे दिया।
.
'सत्य और अहिंसा' की इसी परम्परा का निर्वाह करते हुए काँग्रेस ने 1990 के दशक में लाखों कश्मीरी हिंदुओं के अपने पड़ोसी शान्तिदूतों द्वारा अपहरण, लूट, बलात्कार, नरसंहार और जलावतनी को 'जातिनाश' कहने के बजाये 'सेकुलर निर्वासन' कहा और पीड़ितों को ही अपनी हालत के लिए जिम्मेदार ठहराने में कोताही नहीं की। उन दिनोंं इस नैरेटिव के लेखक थे दिग्गज काँग्रेसी नेता प्रणव मुखर्जी जिन्हें बाद में भाजपा सरकार ने 'भारत रत्न' से नवाज़ा। वैसे कश्मीर घाटी में मस्जिदों से घोषणा हुई थी:
कश्मीरी पंडित घाटी छोड़ जाएँ,
पंडिताइनों को पीछे छोड़ जाएँ।
कश्मीरी हिंदुओं के घरों पर भी यही पोस्टर लगे थे और घाटी छोड़कर जाने की डेडलाइन थी: साल 1990 की 19 जनवरी।
 .
इसके पहले 1984 के 'सिख नरसंहार' को 'दिल्ली दंगा' का नाम दे दिया गया जबकि सिखों की गोली से कोई हिंदू नहीं मरा था न ही किसी हिंदू जमात ने सिखों पर हमले किये थे। जो कुछ हुआ था सब काँग्रेस के 'गांधीवादी' लोगों ने किया था क्योंकि उनका एक 'बड़ा पेड़' गिर गया था जिस कारण पार्टी के लोगों का दिमाग 'हिल' गया था। लेकिन 1980-84 के दौरान पंजाब में उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया था, बस चुप्पी लगा गए थे जब पाकिस्तान समर्थित खालिस्तानी आतंकवादी सरेआम हिंदुओ को निशाना बना रहे थे जिसमें 10 हजार से अधिक के मारे जाने का अनुमान है।
.
तो बात शुरू हुई थी गाँधी जी की सत्य-अहिंसा वाली नीति से। द्वितीय विश्वयुद्ध के आसपास जब नेताजी  सुभाषचंद्र बोस कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव जीत गए तो बापू ने बेहिचक कहा कि 'यह मेरी हार है' और अंतत: नेताजी को अंग्रेज़ों के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई लड़ने के लिए भारत छोड़ना पड़ गया।
उनके नेतृत्व में देश से बाहर भारत की पहली सरकार बनी, आज़ाद हिंद सरकार। वे अंग्रेज़ों के युद्ध अपराधी घोषित हो गए और  गाँधी जी 'बापू' हो गए जबकि खुद अंग्रेज़ों ने स्वीकारा कि नेताजी के नेतृत्व में 'आज़ाद हिंद सेना' ने अंग्रेज़ों की भारतीय सेना में विद्रोह की स्थिति पैदा कर दी थी जिस कारण वे भारत छोड़कर जाने को मजबूर हुए।
.
इस दौरान बापू ने एक तरफ 'अंग्रेज़ों भारत छोड़ो' का नारा दिया तो दूसरी तरफ युद्ध की तैयारियों में साहेब बहादुर की मदद भी करते और करवाते रहे। एक 'देशभक्त' के नाते ऐसा ही पुनीत कर्म उन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध के दरम्यान किया था जिसके बाद अंग्रेज़ी सरकार ने उन्हें 'कैसरे हिंद' की उपाधि भी थी।
.
लेकिन गाँधी के सत्य और अहिंसा की गाथा 1946-48 के दौरान की घटनाओं की चर्चा के बिना पूरी नहीं होगी। उन्होंने कहा था कि देश का बंटवारा उनकी लाश पर होगा  और देश बँट गया। वे गाते थे, 'ईश्वर अल्ला तेरो नाम' और अल्ला के नाम पर पाकिस्तान बन गया; 'पाकिस्तान' के लाखों हिंदू-सिख-बौद्ध-जैन-ईसाई-पारसी नरसंहार, ब्लात्कार, जबरिया धर्मांतरण, लूट, अपहरण और आगजनी के शिकार हुए लेकिन गाँधी जी अपने 'सत्य-अहिंसा' नहीं डिगे और पाकिस्तान को बिना शर्त 55 करोड़ रुपये देने के लिए अनशनियाने लगे जब उसने भारत पर हमला कर कश्मीर का एक तिहाई हिस्सा कब्ज़िया लिया था (जो आज भी उसके कब्ज़े में है)।
.
बापू इसी पर नहीं रुके। पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) और पश्चिमी पाकिस्तान (अब पाकिस्तान) को जोड़ने के लिए हजारों किलोमीटर के केवल-मुस्लिम-आबादी वाले कॉरिडोर वास्ते भी वे अनशन करनेवाले थे कि नाथूराम गोडसे नाम के एक ब्राह्मण युवक ने उनकी हत्या कर दी क्योंकि उसे गाँधी जी के  'सत्य-अहिंसा' मंत्र की समझ ही नहीं थी, एक ऐसा महान मंत्र जिस पर प्रयोग के दौरान बापू ने लाखों लोगों की जिंदगियों तक की परवाह नहीं की थी।
.
बहरहाल इसी मंत्र का अनुशरण करते हुए कट्टर सत्य-अहिंसावादियों ने पुणे और मुंबई में गोडसे के सजातीय हजारों पंक्तिपावन ब्राह्मणों का नरसंहार कर दिया, सैंकड़ों का तो जीवित-दाह संस्कार भी। फिर गाँधी जी 'राष्ट्रपिता' एवं नेहरू जी 'चाचा' घोषित कर दिए गए और नेताजी युद्ध अपराधी बने रहे।
  .
सत्य-अहिंसा पर ऋग्वेद से लेकर महावीर और बुद्ध तक सबने कुछ-न-कुछ कहा है लेकिन गाँधी जी की विशेषता यह है कि उन्होंने इसे जिहाद जैसा स्टेटस दे दिया। यही वजह है कि 72 हूरों और 28 गिलमों वाली जन्नत के लिए इस धरती को ही जहन्नुम बनाने में तनिक भी नहीं हिचकनेवाले जिहादी भी गाँधी जी की तसबीह फेर रहे हैं और भारत की बर्बादी के नारे लगानेवाले भी उनके नाम की माला जप रहे हैं। इससे भी एक क़दम आगे, सब के सब मिलकर गाँधी जी को पैगंबर बनाने पर तुले हैं ताकि उनपर कोई सवाल न उठा पाए और वे विमर्श से बाहर हो जाएँ और फिर 'जिहाद-ए-सत्य-वो-अहिंसा' बदस्तूर चलता रहे।
... तो मित्रो! किस्सा खतम, पैसा हजम।
@चन्द्रकान्त प्रसाद सिंह
#Gandhi150 #Gandhi #Bapu #Nehru #ChachaNehru #Netaji #AzadHindFauj #INA #Pakistan #Genocide #WWI #WWII #WorldWar #NonViolence #Truth #Godse #Genocide #EthnicCleansing #KashmiriHindus #KPs #Moplah #KhilafatMovement #Malabar #QuitIndia #Bapu #WarCriminal #DelhiRiots #SikhGenocide #Khalistan #HinduKillings