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Friday, June 24, 2016

चीन नहीं, भारत खुद के कारण NSG का किला फतह नहीं कर पाया

#चीन के कारण #भारत #NSG का सदस्य नहीं बन पाया, आप यही सोच रहे हैं न? अगर ऐसा है तो आप तथ्यात्मक रूप से सही हैं, रणनीतिक रूप से नहीं।
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भारत खुद के कारण NSG का किला फतह नहीं कर पाया।सो कैसे?
चीन जानता है कि भारत के लोग 10 रुपये बचाने के लिए कामचलाऊ #चीनी_माल खरीदेंगे।चीन जानता है कि भारत के लोगों का #राष्ट्रप्रेम सिजनल है जो सिर्फ युद्ध और #पाकिस्तान के खिलाफ #क्रिकेट के समय मानसून की तरह आता है और फिर नदारद।
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चीन को याद है भारत के #कम्युनिस्टों के एक बड़े धड़े (जिसे आज #सीपीएम,  #माओवादी और #नक्सली कहा जाता है) ने 1962 में भारत पर उसके हमले का स्वागत किया था।चीन यह भी पता है कि भारत का सेकुलर-वामी विपक्ष घोर नक्काल और अराष्ट्रीय दृष्टि से लैश है।
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चीन को पूरा विश्वास है कि जो नेता #वोटबैंक के लिए भारत में ही अनगिनत 'पाकिस्तान' बनवा सकते हैं वे क्या खाकर और किस नैतिक ताकत से अपने देशवासियों को कहेंगे:
चीन ने हमारा एनएसजी पर हमारा साथ नहीं दिया, आप भी चीनी माल मत खरीदो?
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क्या इसी देश में #गाँधी जी के एक कौल पर लाखों लोगों ने अपने #विदेशी_कपड़ों_की_होली जलाई थी?
क्या #जापान और चीन का विकास बिना
#आर्थिक_राष्ट्रवाद के हुआ है? अगर नहीं तो नेताओं से ज्यादा भारत के लोगों को यह तय करना होगा कि वे पहले  #नागरिक हैं या #ग्राहक? अगर वे नागरिक हैं तो क्या #विपक्ष और क्या #सत्तारूढ दल, किसी की मजाल नहीं कि वह #राष्ट्रविरोधी हरकत करने की हिम्मत करेगा।फिर #मीडिया की क्या बात करना जो अपने पाठक-श्रोताओं की रुचियों के खिलाफ जाने की कल्पना भी नहीं कर सकता।
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लेकिन भारत के लोग अगर ग्राहक पहले हैं और नागरिक बाद में तो फिर चीन ही क्यों कोई भी दल या नेता सस्ते में कुछ भी दे-दिलाकर जो चाहे कर-करा ले, कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
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तो असली मुद्दा यह भी नहीं है कि इस देश के नेता पहले नागरिक हैं या ग्राहक, असली मुद्दा यह है कि इस देश के मतदाता पहले नागरिक हैं या ग्राहक?
अगर #मतदाता पहले ग्राहक हैं तो नेता का पहले और आखिरी नागरिक होना कोई मायने नहीं रखता।
अगर मतदाता पहले नागरिक हैं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि नेता क्या है क्योंकि नेता वही काम करेगा जिससे उसे वोट मिले और वोट तभी मिलेगा जब वह करोड़ों नागरिकों के सम्मिलित हित यानी राष्ट्रीय हित में काम करेगा।
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लब्बोलुआब यह है कि एनएसजी मामले में भारत भी जीता है और चीन भी।लेकिन चीन के नागरिक और ग्राहक दोनों जीते हैं जबकि भारत के सिर्फ ग्राहक।
तो फिर हार किसकी हुई? #मोदी की? नहीं, भारत के नागरिकों की ।

#NSG #China #India #Citizen #Consumers #EconomicNationalism
#Japan #CitizenVsConsumer  #Modi 

Wednesday, June 22, 2016

Nehru sacrificed his family for the nation, how?

Santa: What for India can't afford to ignore #Nehru ?
Banta: He turned Congress party into his #FamilyBusiness  for building India as a great Nation.

Dr Swamy is the most hated person today, why?

Swamy is the most hated person today, why?

The problem with India's elite is that it suffers from mental slavery and is programmed to be anti-Indian, unconsciously though; no wonder, it hates Independent Minds, and it all the more hates those who accord top most priority to national and insitutional interests.
With this in view, Dr Subramanian
Swamy is the most hated person by the Indian elite today!
But the Mobile Age Generation understands and appreciates him like none did ever.

Tuesday, June 21, 2016

Raghuram Rajan and Subramaniam Swamy


I request all (who are questioning Dr Swamy's expertise in connection with his demand for RBI Governor Raghuram Rajan's resignation) to find out the stature of Dr Swamy as an economist who taught Quantitative Methods in Economics for nearly four decades at the world's number one university, Harvard. As the chairman, Commission on Labor and International Trade, he was also the architect of India's liberalization program (under Sh PV Narsimha Rao) the credit of which is generally given to Dr Manmohan Singh.
#SubramanianSwamy #RaghuramRajan
#RBI #Liberalization

टमाटरः एनडीटीवी रेट बनाम जनता रेट


टमाटरः एनडीटीवी रेट बनाम जनता रेट

संताः आजकल टमाटर किस रेट पर बिक रहा है?
बंताः तीन रेट हैं।
संताः मतलब?
बंताः एनडीटीवी रेट (120 रुपये किलो), आजतक रेट (100 रुपये) और जनता रेट (60 रुपये)।

प्रेरणा: ह्वाट्सऐप तस्वीर

आज भारत विमर्शरत है ,मोदी उसके प्रतीक हैं...

राष्ट्रीयता के भाव को तार-तार करने की तरफ सबसे घातक कदम था जीवित नेताजी को मृत घोषित करना। इसके बाद गाँधी जी की हत्या (जिसमें नेहरू जी की भूमिका को नहीं नकारा जा सकता क्योंकि गोडसे ने तीन ही गोली मारी थी तो चौथी किसने चलाई?) , अंबेडकर के विरोध के बावजूद धारा 370 घुसेड़ना और समान नागरिक संहिता पर समझौता।
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यह सब नेहरू नटवरलाल और उनकी पारिवारिक संस्था काँग्रेस ने किया। मसला ब्राह्मण और दगाबाजी नहीं बल्कि अंग्रेज-पोषित और मानसिक गुलामी के शिकार नेतृत्व का है।
*
आज स्थिति बेहतर है क्योंकि भारत विमर्शरत है --खुद से और दुनियाभर से।मोदी उसके प्रतीक हैं, कारक नहीं।कारक हैं मोबाइल और इंटरनेट।

बिहार में शिक्षाः सरकार के बावजूद समाज के जिन्दा होने का सबूत


बिहार में शिक्षाः सरकार के बावजूद समाज के जिन्दा होने का सबूत

बिहार के पटवाटोली टोली गाँव के 14 छात्रों ने इस साल आईआईटी परीक्षा पास की है।पिछले साल 16 छात्रों ने सफलता पाई थी।शिक्षा के प्रति इस गहरे लगाव और इस कारण मिली उपलब्धि को सलाम।
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करीब आठ सौ साल पहले जब #नालंदा विश्वविद्यालय को #बख्तियार_खिलजी के नेतृत्व में शांतिदूतों ने जलाया था और सैकड़ों आचार्यों की हत्या की थी तब भी #बिहार की शिक्षा को उतनी चोट नहीं पहुँची थी जितनी #लालू_नीतीश के '#सामाजिक_न्याय' और '#सेकुलरवाद' ने पहुँचायी है। खिलजी के बावजूद बिहार की शिक्षा बची रही क्योंकि तब शिक्षा समाज के हाथ में थी, सरकार के नहीं।
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आज शिक्षा में राज्य #सरकार की भूमिका एक दबंग या माफिया की तरह है जिसका उदाहरण है
#बिशुन_राय_महाविद्यालय के टाॅपर छात्र-छात्राओं का जगजाहिर फर्जीवारा जो सरकारी अधिकारियों से मिलीभगत के बिना संभव नहीं था।
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दूसरी तरफ है समाज का सर्जनात्मक प्रयास जिसके उदाहरण हैं सुपर-30 और #गया का #पटवाटोली गाँव।
बुनकरों के इस गाँव से 14 छात्रों ने #आईआईटी में सफलता पाई है।यह असली कबीरपंथी गाँव है जो मन से #दलित नहीं है और आज पूरी दुनिया के लिए मिसाल है।
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आज के बख्तियार खिलजी लालू नीतीश को और दलितापा का स्यापा करनेवाले गिरोह को ठेंगा दिखाते हुए अपनी मंजिले मकसूद की ओर बढ़ते युवाओं को नमन ।

Udta Punjab -II


Dear Secular friends,
Greetings!
Hope you have at least partially recovered from the #COMMUNAL shock triggered by the standing ovations #Modi got in the #USCongress which, you might say, has been bribed into applauding the #IndianPM who doesn't have even the English accent of an average BROWN SAHEB!
Over to #UdtaPunjab and it's theme of #drug addiction in Punjab.
Please do your research to find out the reason of no known movie on the torture, rape, killing and forced exile of more than 3 lakh #KashmiriHindus, a minority (10%) in the valley.
Your double-speak is too obvious to be debated. This doesn't mean that the delay in okaying Udta Punjab is justified.
In India, #Secularism has got the taste of #MuslimBlood otherwise what else explains the secular hypocrisy on #Kashmir?
How many of you have dared to speak on the Secular Silence on the issue of a Colony in the valley for Kashmiri Hindus in exile?
You are fast losing your TV-newspaper borne credibility, thanks to ICT revolution.

One more thing, do some more research to find out the extent of applicability of SECULARISM to India that had the millenia old tradition of sheltering people of all #Faiths persecuted anywhere in the world, that is, much before the birth of secularism.
I remain,
Sincerely yours,
CPS.

भक्त :अंधभक्त


संताः मोदी समर्थकों को सेकुलर लोग क्या कहते?
बंताः भक्त।
संताः फिर नेहरू जी के गाँधी परिवार के सेकुलर समर्थक?
बंताः अंधभक्त।
संताः क्यों?
बंताः जिस परिवार में इंदिरा गाँधी हुईं उसी में राहुल बाबा भी हैं।

Udta Punjab -I


#Bollywood has been a pocket borough of #DawoodIbrahim; else why didn't a secular #Khan, #Gulzar #Bhatt or #Kashyap ever make a movie on the ethnic cleansing of #KashmiriHindus?
Votaries of #UdtaPunjab want us to forget their studied silence on #Godhara Carnage -#DelhiRiots and #SatanicVerses-#Lajja!

जो देशद्रोह की हद तक मोदी-विरोधी हो...


जो देशद्रोह की हद तक मोदी-विरोधी हो...

संताः सेकुलर कौन?
बंताः जो भारत के टुकड़े-टुकड़े चाहने वालों के साथ खड़ा हो।
संताः और?
बंताः जो देश पर शर्म करे।
संताः और?
बंताः जो नयेपन से भय खाए।
संताः और?
बंताः जो बुद्धिपिशाच हो।
संताः और?
बंताः जो जन्मजात हिन्दू-विरोधी हो।
संताः और?
बंताः जो श्वान-रक्षक से प्यार और गो-रक्षक से घृणा करे।
संताः और?
बंताः जो गोधरा नरसंहार को सेकुलर और गुजरात दंगों को कम्युनल कहे।
संताः एक और अंतिम?
बंताः जो देशद्रोह की हद तक मोदी-विरोधी हो।

तब तो अमेरिकी सांसद भी भक्त हो गए!


संताः प्राजी, भक्तों का जलवा अमेरिकी संसद में भी दिखा।
बंताः मतलब?
संताः अमेरिकी सांसदों ने मोदी का जबर्दस्त स्वागत किया।
बंताः इसमें भक्तों का क्या रोल?
संताः सेकुलर लोग मोदी समर्थकों को भक्त कहकर बुलाते हैं।
बंताः तब तो अमेरिकी सांसद भी भक्त हो गए!

#अमेरिकी_संसद_में_मोदी #अमेरिका_में_मोदी #भक्त
#ModiInUSA #ModiInUS
#ModifiedUSSenate

संविधान निर्माण में अंबेडकर की भूमिका को काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है


अगर वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने ऐसा कहा है('Ambedkar's role in the constitution is a myth') तो इसमें सच्चाई है कि संविधान निर्माण में अंबेडकर की भूमिका को काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है।एक तो संविधान ही कट-पेस्ट (नकल) है और दूसरे अंबेडकर जी इसकी लेखन समिति के अध्यक्ष थे न कि संविधान सभा के।
*
संविधान सभा के अध्यक्ष थे बाबू राजेन्द्र प्रसाद।
अकेले राव साहेब (जो संविधान सभा के सलाहकार थे) ने 270 से ज्यादा अनुसूचियाँ लिखकर दी थीं।उनका नाम सुना है आपने?
*
लेकिन यह भी सच है कि लेखन समिति के सदस्यों में से एक को छोड़ शेष सब बरायनाम ही थे, ज्यादातर काम बाबा साहेब अंबेडकर ने ही किया जिसका प्रतिकूल असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ा।पंडित नेहरू जो न करा दें।
*
मजे की बात है कि नेहरू जी ने अंबेडकर के लेखन समिति का अध्यक्ष बनने का विरोध किया था लेकिन चूँकि गाँधी जी अंबेडकर को चाहते थे इसलिए नेहरू जी चुप्पी लगा गए।लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरू अंतिम क्षण तक अंबेडकर विरोधी बने रहे और अंबेडकर के घोर विरोध के बावजूद कश्मीर संबंधी धारा 370 को संविधान में घुसेड़ कर ही माने।

#रामबहादुर_राय #अंबेडकर #नेहरू #संविधान
#RambahadurRai #Ambedkar #Nehru #Constitution

प्रोफेसर से बड़ा मानसिक गुलाम कोई नहीं


प्रोफेसर से बड़ा मानसिक गुलाम कोई नहीं।
भारत का असल नवजागरण चौक-चौराहों और चौपालों से शुरू हो चुका है।
विश्वविद्यालय तो सिर्फ फैक्टरी हैं मानसिक गुलामी के।

संदर्भः भारत का कोई भी विश्वविद्यालय।

Wednesday, June 8, 2016

The US Senate stood ModiFied today!

Santa: The #SecularGangOfIndia says that Bhakts bribe Indian-Americans into supporting Modi.
Banta: Even the US senate proved them right.
Santa: How?
Banta: Through its numerous rounds of applause and standing ovations during Modi's address.
#USSenateModiFied

आज अमेरिका भी भक्त हो गया!

संताः प्राजी, भक्तों का जलवा अमेरिकी संसद में भी दिखा।
बंताः मतलब?
संताः अमेरिकी सांसदों ने मोदी का जबर्दस्त स्वागत किया।
बंताः इसमें भक्तों का क्या रोल?
संताः सेकुलर लोग मोदी समर्थकों को भक्त कहकर बुलाते हैं।
बंताः तब तो अमेरिकी सांसद भी भक्त हो गए!

#अमेरिकी_संसद_में_मोदी #अमेरिका_में_मोदी #भक्त
#ModiInUSA #ModiInUS
#ModifiedUSSenate

नीतीश आज के बख्तियार खिलजी हैं ...

बिहार की शिक्षा का जितना नुकसान नीतीश राज में हुआ है वह अभूतपूर्व है।लालू जी भी नीतीश के सामने पानी भरें।

वह जमाना लद गया जब बड़ी संख्या में लोग आईआईटी और सिविल सेवा में चुने जाते थे।बिहार बोर्ड से पास उन जिन लोगों की उम्र 15 से 25 वर्ष है उन लोगों से पूछिये कि उन्हें किस शाख पर उल्लू नहीं मिला या उन्हें उल्लू नहीं बनाया गया या उन्होंने दूसरों को उल्लू नहीं बनाया? जातिवाद के विरोध और सामाजिक न्याय की आड़ में हर शिक्षण संस्थान में संविधान और शिक्षा की ही बलि चढ़ाई जाती रही है।बिहार की शिक्षा के चार दुश्मन हैं:
1. जयप्रकाश आंदोलन
2. डा जगन्नाथ मिश्र
3. लालू प्रसाद
4. नीतीश कुमार

परंतु सबसे बाद आए नीतीश कुमार ने ही सबसे ज्यादा मट्ठा डाला है शिक्षा की जड़ों में।
शिक्षकों के स्तर को गिराया और उनको स्थानीय राजनीति से जोड़ा (शिक्षामित्र); शिक्षकों को शिक्षकेतर काम से लाद कर उन्हें किरानी बना दिया; तथा योग्य शिक्षकों की भर्ती को गैरजरूरी माना।
नालंदा विश्वविद्यालय को जलाने से जितना नुकसान बिहार की शिक्षा को हुआ उससे कहीं ज्यादा नीतीश के उपरोक्त कदमों से हुआ है।

Tuesday, June 7, 2016

तब वे जेल के अंदर से बिहार चलाते थे और अब बाहर से

संताः राबड़ी -नीतीश के मुख्यमंत्रित्व में क्या समानता है? बंताः राबड़ी-युग में लालू प्रसाद जेल के अंदर से बिहार चलाते थे और अब नीतीश-युग में जेल के बाहर से।

राबड़ी देवी और नीतीश कुमार में क्या समानता है?

संताः राबड़ी देवी और नीतीश कुमार में क्या समानता है?
बंताः जब राबड़ी मुख्यमंत्री थीं तो पतिदेव लालू प्रसाद जेल के अंदर से बिहार चलाते थे और आज जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं तो लालू जी वही काम जेल के बाहर से कर रहे हैं।

Friday, June 3, 2016

बलात्कार-हत्या पर चुप्पी की बेमिसाल एकता

संताः केरल में बलात्कार के बाद एक दलित की हत्या कर लाश की बोटी-बोटी कर दिए जाने पर भी जेएनयू के दलित-वामपंथी-इस्लामिस्ट मौन है?
बंताः लेकिन रोहित वेमूला की ती आत्महत्या पर भी आसमान सर पर उठा लिया था।
संताः इस मामले को वे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहते।
बंताः नहीं ब्रो, यह 'पुण्य कार्य' 72-हूरों की ज़न्नत में बुकिंग के लिए आतुर कुछ शांतिदूतों ने किया है।
संताः मतलब?
बंताः मामला दलित-मुस्लिम एकता का है।
संताः बलात्कार-हत्या पर चुप्पी की बेमिसाल एकता?
बंताः1946-47 में एक दलित नेता ने लाखों बंगालियों के बलात्कार, हत्या और जबरिया धर्मांतरण को अनदेखा कर मुस्लिम लीग का चुनावों में समर्थन किया था।
संताः मतलब देश के बँटवारे का समर्थन?
बंताः हाँ, इसके एवज में जोगेन्दर मंडल को जिन्ना साहब ने काबिना मंत्री बनाया था।
#Justice4Jisha #JusticeForJisha
#JishaRapeAndMurder
#NirbhayaInKerala

जेएनयू के वामपंथ का शोशा दीपक बुझने से पहले की लौ की तरह है

जेएनयू में एबीवीपी का सत्य जबतक जूते के फीते बाँधता है तबतक वामपंथी फर्जीवारा चार मील आगे जा चुका होता है एनडीटीवी और अंग्रेज़ी अखबार 'हिन्दू' के कंधों पर सवार होकर।यह मैं लगभग 30 सालों से देख रहा हूँ।
*
लेकिन एनडीटीवी पर 2000 करोड़ के फर्जीवारा का मामला है और हिन्दू का पाठक वर्ग उससे दूर हो रहा है।
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तो जेएनयू एबीवीपी के सौरभ शर्मा और आपकी टीम आपको बधाई और उससे भी ज्यादा शुभकामनाएँ!
वक्त और टेक्नालॉजी आपके साथ है।जीत पक्की है।जेएनयू के वामपंथ का शोशा दीपक बुझने से पहले की लौ की तरह है।
*
सो मत जाना, हिम्मत मत हार जाना। चरैवेति चरैवेति।
#JNU #TheHindu #NDTV #ABVP #Leftists #SecularFraud #AISA #AISF #SFI #SaurabhSharma
#NDTVMoneyLaunderingCase #KanhaiyaAtLalusFeet #JNUSU

हे जेएनयू के अति संवेदनशील सेकुलर मित्रो!

हे जेएनयू के अति संवेदनशील सेकुलर मित्रो,
अख़लाक़ की हत्या पर दुःखोउत्सव से थोड़ा समय इस अभागी मलयाली दलित लड़की के लिए भी निकाल लेते...
उसी के लिए जिसे बलात्कार के बाद छुरे से गोद-गोदकर मारा गया...लगभग बोटी-बोटी करके...
हे अफ़ज़ल-प्रेमी याकूब-व्याकुल और भारत के टुकड़े-टुकड़े को लालायित शाँतिदूतो, जब ज़न्नत में 72 चिर-कुमारयाँ रिजर्व हैं तो इस धरती की कुमारियों को जीते जी जहन्नुम देने वालों की बेमन से सही भर्त्सना तो कर देते...
हे दलितापा के पैगंबरो, क्या पेट और पेट के नीचे के लिए आपने पेट के ऊपर को इतना गिरवी रख दिया है कि बलात्कार के बाद एक लड़की की जघन्य हत्या भी आपको डिगा न सकी?

Kanhaiya at the Chara- Chor Lalu's Feet, a Disgrace to JNUSU

Kanhaiya at the Chara- Chor Lalu's Feet, a Disgrace to JNUSU... (6.5.16)
JNU was never an inclusive place. But Kanhaiya has definitely brought disgrace to JNUSU by virtually falling at the feet of the Fodder Scamster Lalu Prasad.
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Unlike Kanhaiya, the former JNUSU President late Chandrasekhar--who was murdered by Lalu's RJD goons in mid 1990s-- was the gem of a person who was both rooted and had the helicopter view of the Indian society.
*
He had left NDA to do student politics and started his political career with CPI's student wing AISF in Patna in early 80s when I had come into his contact in Patna college for a few months. Later he came to JNU and after a few years joined AISA.

Thursday, June 2, 2016

लोकतंत्र मछली तो काँग्रेस साँप

संताः काँग्रेस ने इस देश में लोकतंत्र के लिए क्या-क्या नहीं किया।
बंताः ठीक वैसे ही जैसे मछली को डूबने से बचाने के लिए साँप उसे  निगल लेता है!

...क्योंकि केरल की जीशा शूद्र थी, दलित नहीं!


...क्योंकि केरल की जीशा शूद्र थी, दलित नहीं!

जैसे काफ़िरों को शाँतिदूत अल्लाह की क़ायनात में दोयम दर्जे का मनुष्य मानते उसी तरह जेएनयू मार्का दलित चिंतक भी सभी शूद्रों को पूरा दलित नहीं मानते।जानते हैं क्यों?

# क्योंकि शूद्र जमीन से जुड़े हैं जबकि दलित हवा-हवाई हैं;

# क्योंकि शूद्र देवी दुर्गा को गालियाँ नहीं देते;

# क्योंकि शूद्र कबीर के नक्शे कदम श्रम के सौन्दर्य के पुजारी है जबकि दलित एकनंबरी कामचोर और मानसिक गुलाम;

# क्योंकि शूद्र न बीफ पार्टी देते हैं न ही अफ़ज़ल गुरु और याकूब मेमन जैसे देशद्रोहियों के लिए ज़िंदाबाद के नारे लगाते हैं;

# क्योंकि शूद्र अपनी इज्जत पर हाथ उठाने वालों के हाथ उठने लायक नहीं छोड़ते जबकि दलित उनके साथ सत्ता और भौतिक सुख के लिए गवबहियाँ करते हैं।

# तो शाँतिदूतों के रहम का शिकार हुई केरल की लड़की सिर्फ और सिर्फ शूद्र थी, दलित नहीं...भला सेकुलर-दलित-वामी गिरोह क्यों अपना टाइम खराब करे इस वर्ग-दुश्मन पर?

किस मुद्दे को लेकर जेएनयू के छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार भूख हड़ताल पर है?


किस मुद्दे को लेकर जेएनयू के छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार भूख हड़ताल पर है?

(6.5.2016)

अफ़ज़ल और याकूब प्रेमियों के समर्थन में?
भारत की स्वतंत्रता के लिए जतीन दा ने पचास दिनों से भी ज्यादा भूखे रहकर देह त्यागी थी...

कन्हैया लाल को चारा घोटाला प्रसाद को सजामुक्त तो नहीं करवाना?

कुछ पता तो चले उन समस्याओं के बारे में जिनसे वे देश को आजाद देखना चाहते है?

कहीं चुनी हुई सरकार से तो देश को आजादी नहीं दिलाना चाहते?

लोकतंत्र की दुश्मन और वंशवाद की विषबेल की गंगोत्री नेहरू के गाँधी परिवार के तो वे शरणागत हो गए हैं!

भई, ऐसे फर्जीवारा से सावधान!!

असली दोष जेएनयू के देशतोड़क शिक्षकों का है, छात्रों का नहीं...


असली दोष जेएनयू के देशतोड़क शिक्षकों का है, छात्रों का नहीं...

जेएनयू से पढ़े लोगों को वामपंथियों ने मुँह दिखाने लायक नहीं छोड़ा है।लेकिन इसके लिए छात्र नहीं, इनके बुद्धिविलासी और बुद्धिपिशाच शिक्षक दोषी हैं जो जेएनयू को एक अलग गणराज्य मानते हैं जिसका पाकिस्तान के तर्ज पर मकसद है:
भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह!
*
आज ट्रेन और बस में जेएनयू वालों की पिटाई तक होने लगी है।
*
वाह रे शिक्षक!
एक चाणक्य थे जिन्होंने चन्द्रगुप्त पैदा किया और एक आप हैं जो देशतोड़क के पर्याय बन गए हैं।
किसी भी और देश में आप होते तो टँग गए होते।आपकी मानसिक मातृभूमि पाकिस्तान में भी आपका वही हाल होता जो वहाँ फ़ैज़ और इब्ने इंशा का हुआ।
*
लेकिन भला हो सोशल मीडिया और संचार तकनीक का कि आपने अपनी घोषित मूर्खताओं से लोगों में सात्विक क्रोध पैदाकर मात्र तीन महीनों में राष्ट्रीयता को जितना समृद्ध किया है उतना नुकसान आप 45 सालों की रणनीतिक चालाकी से भी नहीं कर पाए थे।
कम-से-कम इस बात के लिए आप बधाई के पात्र हैं ही।

जेएनयू और दारुल उलूम (देवबंद) में क्या समानताएँ हैं?

जेएनयू के समाज विज्ञान विभागों और दारुल उलूम (देवबंद) में क्या समानताएँ हैं?
बस यूँ ही मन किया कि आपकी राय ले लूँ...

इस्लामी शासन, कम्युनल दंगे और सेकुलर इतिहासकार...


इस्लामी शासन, कम्युनल दंगे और सेकुलर इतिहासकार...

सर्वश्री इरफान हबीब, स्व. रामशरण शर्मा , मुखिया और सुश्री थापर ने 50 सालों तक मंदिर-मस्जिद मामले में देश को गुमराह किया । इसमें कोई भी पुरातत्वविद् नहीं पर पुरातात्विक मामले में कम्युनिस्टों की पार्टी लाइन लेकर चलते रहे।यह बात इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले से साफ है।
*
बात रही मुसलमान बुद्धिजीवियों की तो वहाँ तो मध्यवर्ग का हाल 'जंगल में मोर नाचा किसने देखा' वाला है।ज्यादातर के लिए भारत काफ़िरों का देश है जिसे ग़ज़वा-ए-हिन्द के द्वारा दारूलस्सलाम बनाना है।नहीं तो शाहबानो मामले में मुस्लिम आभिजात्य और कठमुल्लों में कोई अंतर हो तो बताते चलिये।
*
कबीर, रसखान, दारा शिकोह, बाबा बुल्ले शाह, अब्दुल कलाम, आरिफ मोहम्मद खान या अब्दुल हमीद मुसलमानों के आइकाॅन नहीं हैं, क्यों?
*
11 वीं से 18वीं सदी तक के 700 साल कैसे रहे होंगे उसका ट्रेलर कश्मीर (19 जनवरी 1990 : हिन्दुओं के लिए घाटी छोड़ने की डेडलाइन) में तो आजादी के बाद भी दिख गया।
*
गुजरात के दंगे अक्सर मिसाल के तौर पर पेश किए जाते हैं , इसलिए सेकुलर-वामी-इस्लामिस्ट मित्रों से कुछ सवालः

# हिन्दुस्तान के किस हिन्दू बहुल इलाके से तीन लाख से ज्यादा मुसलमानों का पलायन हुआ था?
# गुजरात में कितने मरे थे और कितने हिन्दू वहाँ पुलिस की गोली से मरे?

# मोदी शासन (2002-14) के दौरान कितने मुसलमान कम्युनल गुजरात से सेकुलर बिहार-यूपी-बंगाल गये ?

# कितने मुसलमान इन सेकुलर राज्यों से कम्युनल गुजरात गये?

# गोधरा-नरसंहार क्या नरसंहार न होकर कारसेवकों द्वारा सामूहिक आत्महत्या की मिसाल था?

# दिल्ली दंगे सेकुलर और गुजरात दंगे कम्युनल हैं?

स्वयंभू पब्लिक इंटेलेक्चुअल हबीब और थापर और उनके सेकुलर-वामी शिष्य कुछ इसपर भी रोशनी डालें ।

इस्लामी शासन पर विमर्श के दौरान कोई क्यों 72-हूरों वाली ज़न्नत बात को घुसेड़े?


श्री Dhirendra Pundir की फेसबुक वाल पर आज जनाब रहमानुल्ला ख़ान ने इस बात पर आपत्ति की कि सात सौ सालों के इस्लामी शासन पर विमर्श के दौरान कोई क्यों 72-हूरों वाली ज़न्नत बात को घुसेड़े?

काॅमनसेंस से देखें तो ख़ान साहेब की बात दमदार लगती है।लेकिन थोड़ा शोध करें और सेकुलर पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर सोचे तो 72 हूरों वाली बात को चर्चा में लाना जरूरी लगता है।
आप पूछेंगे , सो कैसे भाया?
तो सुनिए।

देखिए साहेब, इस्लाम एक साफ्टवेयर है और मुसलमान हार्डवेयर (यह बात हर मजहब पर लागू होती)।इस साफ्टवेयर का अभिन्न हिस्सा हैं दारुलस्सलाम, दारुल हरब, जिहाद, काफ़िर, काफ़िर वाजिबुलक़त्ल, ग़ज़वा-ए- हिन्द, क़ब्र, क़यामत, ज़न्नत, हूर आदि और जिनका ग़ैरमुसलमानों से गहरा संबंध है।
आज भी इस्लाम के नाम पर मुसलमान जो भी(अच्छा-बुरा) कर रहे हैं उसका इस 1400 पूर्व के साफ्टवेयर से चोली दामन का संबंध है।इसीलिए किसी सज्जन (मैंने पढ़ा नहीं) 72-हूरी ज़न्नत का ज़िक्र किया होगा।
दो-तीन सवालः
1.इस्लाम में कितने सुधारवादी आंदोलन हुए? इन आंदोलनों का क्या हस्र हुआ?
2.पाकिस्तान सिर्फ एक देश है या सोच?
3. अगर सोच तो आज के भारत में क्या अनगिनत पाकिस्तान नहीं बसते ?
नोटः विशेष जानकारी के दिए देखें--
# Jihadist Threat to India@ Tufail Ahmad
# A God Who Hates@ Wafa Sultan
# The Illusion of Islamic State@ Tarek Fateh
# Allah is Dead: Islam is Not
a Religion@Rebecca
# Slavery, Terrorism and Islam@ Peter Heymond
# Questioning Islam@ Peter Townsend

ये बातें झूठी बातें हैं जो भक्तों ने फैलाई हैं!


संताः काँग्रेस के नेता मोदी की डिग्री के पीछे पड़े हैं।
बंताः भक्त भी तो सोनिया-राहुल की पेडि-ग्री (वंश-गुण) के पीछे पड़े हैं।
संताः इससे क्या? सब जानते हैं कि वे पंडित नेहरू के गाँधी-परिवार से हैं।
बंताः नेहरू का गाँधी-परिवार?
संताः उनके दामाद का नाम फ़िरोज़ गाँधी नहीं था ? फिर नाती-परनाती गाँधी ही होंगे न?
बंताः लेकिन फ़िरोज़ गाँधी के पिता का सरनेम तो ख़ान था।
संताः प्राजी, तो उनकी माँ का सरनेम गाँधी रहा होगा।
बंताः मतलब पिता का सरनेम न लेकर उन्होंने अपनी माँ का सरनेम अपना लिया?
संताः लगता तो ऐसा ही है।
बंताः इस्लाम में यह जायज है क्या?
संताः स्थानीय प्रथा रही होगी।
बंताः देश का कोई और मुसलमान परिवार जिसमें ऐसी प्रथा रही हो?
संताः पता नहीं।
बंताः मतलब जैसे नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु मनगढंत वैसे ही नेहरू जी के दामाद का सरनेम भी? चलो, बड़े लोगों की बड़ी बातें।
संताः ये बातें झूठी बातें हैं जो भक्तों ने फैलाई हैं!

फिर कम्युनल और दोषी कौन? जिसकी हत्या हुई ...


संताः केरल में एक लड़की की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई पर दलित चिंतक चुप रहे।
बंताः कोई नहीं जी, ऐसे सेकुलर अपराधों पर कोई क्यों अपना टाइम ख़राब करेगा?
संताः सेकुलर अपराध?
बंताः बलात्कार और हत्या करनेवाले मोसल्लम ईमानवाले शांतिदूत थे।
संताः फिर कम्युनल कौन?
बंताः जिसकी हत्या हुई।
संताः और दोषी?
बंताः जिसकी हत्या हुई।
संताः कैसे?
बंताः न वह गोमांस खाती थी, न दुर्गा को गाली देती थी, न अफ़ज़ल-याकूब के लिए आँसू बहाती थी और न ही केरल-कश्मीर-बंगाल की आजादी के नारे लगाती थी।और तो और, उसने शाँतिदूतों की ज़न्नती इच्छा के सामने खुद को समर्पित भी नहीं किया।

परशुराम जी को छुट्टी पर भेजने की साजिश किन लोगों ने रची?


अफगान, तुर्को, मुगलों और अंग्रेज़ों के हमले और 1000 साल की गुलामी के दौरान परशुराम जी को छुट्टी पर भेजने की साजिश किन लोगों ने रची?

वैसे शिव, राम, कृष्ण, हनुमान, दुर्गा, सरस्वती सभी को इस दौरान छुट्टी पर भेजा गया था।
सिर्फ लक्ष्मी जी सबसे कम समय (250 वर्ष)
तक छुट्टी पर थीं।
सवाल यह भी है कि शक्ति-बुद्धि-विवेक की लंबी छुट्टी और ऐश्वर्य की छोटी छुट्टी के बीच क्या संबंध है?

ट्रक ड्राइवरों को सलाम जिन्होंने नेताजी-भगत सिंह-आजाद को बचाये रखा


ट्रक ड्राइवरों को सलाम जिन्होंने नेताजी-भगत सिंह-आजाद को बचाये रखा

नेताजी सुभाषचंद्र बोस-भगत सिंह- चन्द्रशेखर आजाद जैसे राष्ट्रीय नायकों की ताजपोशी बस और ट्रकों पर बनी तस्वीरों में हुई...

जबकि सिर्फ 'तन से भारतीय, मन से यूरोपीय' नेहरू बुद्धिजीवियों के गले का हार बन गए...संसद से सड़क तक उनके नाम की पट्टियाँ लग गईं...किताबों में उनकी वीरगाथाएँ छा गईं ...

काँग्रेस पार्टी नेहरू के 'गाँधी परिवार' के लिए फैमिली बिजनेस में तब्दील हो गई...
*
तो आप ही बताइए, बस और ट्रक ड्राइवरों ने राष्ट्रीय भावना को बचाया या नेहरू मार्का बुद्धिजीवियों ने?

जेएनयू के देशतोड़क प्रोफेसर वरेण्य हैं या
बस और ट्रकों के वे ड्राइवर जिन्होंने...

कश्मीर से कन्याकुमारी तक, अरुणाचल से कच्छ तक...नगर-नगर, डगर-डगर, चौक-चौराहे, होटल-ढाबे...वन-पहाड़, नदी-घाटी-झरने, बीहड़-रेगिस्तान...सब जगह और सबको राष्ट्र-नायकों के दर्शन कराये ?

नेताओं की डिग्री-जाँच के लिए 'नागरिक आयोग' बनाइए ...


नेताओं की डिग्री-जाँच के लिए
'नागरिक आयोग' बनाइए ...

मोदी की डिग्री पर विवाद से ख्याल आया कि
नेताओं की डिग्रियों की जाँच के लिए एक 'नागरिक आयोग' गठित किया जाए जो बिरसा मुँडा से लेकर मंगल पाँडे, रानी झाँसी, सिंधिया, राजा राममोहन राय, मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, गाँधी-पटेल-बोस-अंबेडकर-मौलाना आजाद-लोहिया-जय प्रकाश नारायण, इंदिरा गाँधी-राजीव गाँधी-सोनिया गाँधी-राहुल गाँधी-प्रियंका गाँधी आदि तक सभी की डिग्रियों और उनके अवदानों पर अगले छह महीनों में एक रिपोर्ट पेश करे ।
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आप इस नागरिक आयोग के लिए अपने नाम समेत दूसरों के नाम भी सुझाएँ और कोशिश हो कि पूरे देश से लोग इसमें शामिल हों।
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मेरी तरफ से निम्न लोग प्रस्तावित हैं:

Niraj Kumar Jha
Surendra Solanki
Samuel Asir Raj
Tribhuwan Singh
Sumant Bhattacharya
Shailendra Dhar
Dilip Gosai
Manmohan Sharma
Tufail Chaturvedi
Shilpi Jha
Ajit Singh
Subodh Kumar
Tufail Ahmad
Ashok Bhagat
Vinita Singh
Rahul Sharma
Binoy Shanker Prasad
Alok Sahay
Anand Dubey
Nalini Ranjan Mohanty
Ritu Kant Ojha
Shaheena Khan
Somesh Choudhary
Arun Tripathi
Arun Pandey
Amit Srivastava
Virendra Rai
GArima TiwaRi
Prachi Dhiman La Stella
Shankar Sharan
Parmanand Pandey
Ishwari Charan Pandey